बुधवार, 3 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा -------- पुरस्कार



मैं अपनी कक्षा की चुप रहने वाली लड़कियों में से एक थी । टीचर के प्रश्न का उत्तर मालूम होते हुए भी खड़े होकर बोलने में डरती थी ।एक  दिन विद्यालय में शिक्षा विभाग की ओर से एक टीम विद्यालय के बच्चों का ज्ञान स्तर पता लगाने आई ।कुछ एक प्रश्नों के उत्तर बच्चों से पूछे गए।अधिकांश प्रश्नों के उत्तर अलग अलग विद्यार्थियों ने बताये पर एक प्रश्न का उत्तर किसी ने नहीं बताया ।मेरी कक्षा अध्यापिका जोर से डांटने लगी और बोली ,'बच्चों!कोई,तो बताओ ,विद्यालय की बदनामी होगी ।
यह सुनकर मैने हाथ खड़ा कर प्रश्न का सही उत्तर बताया ।टीम ने पुरस्कार दिया और मेरी पीठ थपथपाई।यह पुरस्कार  पांचवी कक्षा में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दिया। इसके बाद मैंने कई पुरस्कार जीते लेकिन यह पुरस्कार आज भी मुझे सब से अहम है क्योंकि अगर यह पुरस्कार मैं नही जीती होती ,तो मैं जीतना सीखती ही नहीं।

✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद

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