मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में यूट्यूब पर एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन 7 जून 2020 को किया गया। यह काव्य-गोष्ठी डिजिटल एन्टरटेनर यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रीमियर की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि डॉ. मीना कौल तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती सरिता लाल रहीं। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने किया।
कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों ने निम्न प्रकार अभिव्यक्ति की -
1. अरविंद कुमार शर्मा आनंद -
कुछ दिये टिमटिमाते रहे रातभर।
जुगनुओं की तरह से वो आए नज़र।।
रौशनी खो गयी है सियह रात में।
और वीरान है हर नगर, हर डगर।।
2. आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ-
गांधीवादी दर्शन के अब गीत नहीं भाते है जी,
रंग दे बसंती चोले वाले गीत हमे आते है जी,
बहुत समय तक गांधीवादी दर्शन पर चल देखा है,
सहन शक्ति की भी कोई होती सीमा रेखा है
3. मोहित शर्मा -
मैं ख्वाबों का महकता घर रहा हूं।
औे फूलों से किनारा कर रहा हूं।।
कहां वो रंग है ऐ जान तुझमें।
तेरी तस्वीर में जो भर रहा हूं।।
4. राशिद मुरादाबादी-
फिसलोगे अगर तो तुम्हें उठायेगा नहीं कोई,
डूबोगे अगर तो तुम्हें बचायेगा नहीं कोई,
दुनिया तो है तमाशबीनों का अड्डा राशिद,
देखकर मुसीबत में तुम्हें मज़ा पायेगा हर कोई,
5. नृपेंद्र शर्मा-
आ पास आजा हम प्यार कर लें,
प्यार में सारी हद पार कर लें।
जीवन है दरिया हम इसकी धारें,
बहते रहें हम प्यार के सहारे।
6. हेमा तिवारी भट्ट-
स्वप्न आँखों में बुझे हैं,ले दिया जला दे कोई।
स्वार्थ के कटु आँकड़ें हैं,आगणक मिटा दे कोई।
थी कभी जो डाल धानी,सूखकर हुई है भूरी,
बादलों में रंग गाढ़ा,आज फिर चढ़ा दें कोई।
7. इंदु रानी-
लगे कही पे तो हो गई कोई कमी मुझको
दिखे है आज हर इक आँख मे नमी मुझको
हुए जो हाल बुरे आज बद से बदत्तर हैं
दिखे हर आस अपने दर्द मे दबी मुझको
8. मोनिका मासूम-
हमने सीखा है मुश्किल हालातों में कुछ होना
बंद करो यह बात बात पर कोरोना का रोना
लो संकल्प, करो सहयोग धरो धर्य और संयम
जीतेंगे हम एक दिन हमसे हारेगा कोरोना
9. राजीव प्रखर
जिस जंगल की रोज़ ही, उजड़ रही तक़दीर।
उसकी क़ाग़ज़ पर मिली, हरी-भरी तस्वीर।।
तम के बदले हृदय में, भरने को उल्लास।
दीपक में ढल जल उठे, माटी-तेल-कपास।।
10. श्रीकृष्ण शुक्ल-
जिन दरख्तों को गिराना चाहती हैं आँधियाँ।।
कुछ परिन्दों ने बना रक्खे हैं उनमें आशियाँ।
कल यहाँ पर खेत थे बस और कुछ पगडंडियाँ।
अब यहाँ पर दूर तक हैं आशियाँ ही आशियाँ।।
11. डॉ अर्चना गुप्ता-
तू भूल मेरी कर क्षमा, खुशियों भरा संसार दे
माँ शारदे माँ शारदे,नादान हूँ पर प्यार दे
मैं राह सच्ची पर चलूँ, देना सदा ये ज्ञान माँ
इंसान बस कहला सकूँ देना यही पहचान माँ
माँ शारदे माँ शारदे सद्भाव का व्यवहार दे
12. जितेन्द्र कुमार जौली-
एक बार एक टीचर ने खा लिया बच्चे का खाना।
और बच्चे से कहा कि अपनी मम्मी को मत बताना।।
बच्चा बोला आपका बताया मुझे समझ आ गया।
मम्मी से कह दूँगा मेरी रोटी कुत्ता खा गया।।
13. मनोज मनु-
वृक्षों की रक्षा करें ,नैतिकता यह आज।
हरे भरे हो वृक्ष तो ,फूले फले समाज।।
सुनो वृक्ष भी चाहते, प्यार भरा एहसास।
इनमें भी जीवन भरा ,यह भी लेते श्वास।।
14.डॉ मनोज रस्तोगी-
महकी आकाश में ,
चांदनी की गंध
अधरों की देहरी
लांघ आये छंद
गंगा जल से छलके
नेह के पिटारे
15. योगेंद्र वर्मा व्योम-
आज सुबह फिर लिखा भूख ने
ख़त रोटी के नाम
एक महामारी ने आकर
सब कुछ छीन लिया
जीवन की थाली से सुख का
कण-कण बीन लिया
रोज़ स्वयं के लिए स्वयं से
पल-पल है संग्राम
16. विकास मुरादाबादी-
वक्त को गंवाने की,आदत हमने छोड़ी है !
बहुत हैं तमन्नाएं , जिन्दगानी थोड़ी है !!
17. सरिता लाल -
बदहवासी सी हर शिकस्त
कई महायुद्धों सी वो परस्त
हर तरफ पसरती ये लाचारी
मुंह ही खोल बैठी ये महामारी
ये प्रलंयकारी सी सारी यातनाएं
मुंह छुपाने लगीं सारी संवेदनाएं
सब कुछ देखकर भी सोचती हूं
कभी हौंसलें कम तो न करूंगी
बस मैं हरदम ही धीर धरूंगी ।।
18. डॉ मीना कौल-
रख दिया सन्मार्ग पर वो कदम मत हटाना,
शूल मिलें राह पर उन्हें प्यार से हटाना।
आपदा की सोच के तू धर्म नहीं भुलाना
आपदा को भी तुझे है साधना बनाना।
19. रामदत्त द्विवेदी-
माना कि व्यवसायी हम हैं धन अर्जन ही ध्येय है।
पर जिस धन में स्वार्थ भरा हो कलुषित है वह हेय है।।
इस काव्य गोष्ठी को पूरा सुनने के लिए कृपया क्लिक कीजिए
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें