बुधवार, 3 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की लघुकथा----- तसल्ली


"मम्मी काम वाली आंटी का फोन है।"
"रीसीव कर ले बेटा और स्पीकर ऑन करके यहांँ शेल्फ के ऊपर रख दे। मैं बर्तन धो रही हूँ,हाथ गीले हैं। यहीं से सुन लूँगी।"
"हैलो,भाभी जी राम राम।मैं शीतल की मम्मी बोली रई।"
"हां, नमस्ते शीतल की मम्मी।"
"भाभी जी,सब खैर कुशल है।"
"हाँ,सब ठीक है।आप बताओ कोई परेशानी तो नहीं है।"
"ना,भाभी जी कोई परेशानी नहीं।बस ये पूछने के तांयी फोन कर रही थी के काम पर आ जावें क्या अब?"
"नहीं, नहीं।अभी खतरा टला थोड़े ही है।अभी तो और कुछ दिन एहतियात रखनी पड़ेगी।"
"वो ऐसा है ना भाभी जी।जब तुमने छुट्टी करी थी,तो हम अपने गाँव चले गये थे।इतने दिनों में अपने गेहूँ भी समरवा लिये और कुछ दिन गाँव में भी काम कर लिया।अब खाली बैठे हैं।तब शीतल के पापा ने कयी कि काम को पूछ लो।जो भाभीजी कहेंगी तो लौट चलेंगे कमरे पर को।"
"नहीं,शीतल की मम्मी ।अभी नहीं।और आप लोग भी ऐसे आवाजाही मत करो।जहाँ हो वहीं रहो।हाँ,कोई परेशानी हो तो बताओ।"
"ना भाभी जी, परेशानी ना है।तुमने एडभांस दे ई दी थी।गाँव में अनाज सब्जी की परेशानी ना है।परधान,डीलर सब लोगन की मदद कर रै हैंगे।"
"तो फिर आराम से गाँव में रहो ना जब अब समय मिला है तो।यहाँ आठ लोग के साथ किराये के एक कमरे में रहती थी तो रोज गाती थी,भाभी जी गाँव में रहते तो कितने सही रहते।ये भी रोना था कि काम के चक्कर में गाँव जाने का टाइम नहीं मिलता। तुम्हारी तो सुन ली भगवान ने।"
"ना भाभी वो बात ना है।गाँव तो अपना घर है।कुछ नहीं तो भूखे तो नहीं मरने देगा।पर जिनगी में केवल पेट तो ना है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई,शादी ब्याह...।पैसे चाहिए हर काम कू।खैर जे छोड़ो,ये बताओ...घर का काम तुमी कर रही।"
"और कौन करेगा शीतल की मम्मी....मैं ही कर रही हूँ।"
"नई मैं सोची कि कहीं कोई आस पड़ोस की रख ली हो।काम भी तो भतैरा है तुमारा।"
"हाँ,वो तो है पर जब काम पे किसी को रखना ही होता तो तुम्हें ही वापस ना बुला लेती।जब लॉकडाउन हटेगा तो तुम्हें ही बुलाऊँगी,बे फिकर रहो"
"वो तो मुझे भरोसा है तुम पर।लोकडोन कभी तो खतम होगा पर इस बीच नौकरी न चली जाय बस यही चिन्ता है हम मजूरों की।तुमसे बात करके तसल्ली है गयी।ठीक है राम राम भाभीजी!"

 ✍️हेमा तिवारी भट्ट
बैंक कॉलोनी, खुशहालपुर
मुरादाबाद 244001
मो.न.-7906879625

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