बुधवार, 23 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार विवेक आहूजा की कहानी----पासा

   एक दिन रमेश के पास उसके बड़े भाई अजय का फोन आया,  हालचाल जानने के पश्चात अजय ने रमेश से कहा "तुम तो गांव में रहते हो वहां पढ़ाई के लिए कोई अच्छा स्कूल भी नहीं है , लिहाजा अपनी बेटी रमा को मेरे पास पढ़ने के लिए भेज दो , मेरी भी कोई बेटी नहीं है मुझे भी बेटी का सुख मिल जाएगा" यह सुन रमेश अति प्रसन्न हुआ कि उसके बड़े भाई उसका कितना ख्याल रखते हैं । घर में पत्नी से मंत्रणा कर रमेश ने अपने बेटे विनय  के साथ रमा को अजय के घर छोड़ने के लिए भेज दिया , घर पहुंचते ही ताई जी ने विनय से पूछा कैसे आना हुआ सब खैरियत तो है । यह सुन विनय को बड़ा  अचरज हुआ कि अजय ताऊ जी ने घर पर कुछ नहीं बताया था । लेकिन फिर भी विनय ने ताई जी से कहा मैं रमा को आपके घर छोड़ने के लिए आया हूं ,ताकि यह शहर में पढ़ाई कर सकें । ताई जी विनय की बात सुन , चुप हो गई । चाय पानी के पश्चात ताई जी विनय से बोली चलो थोड़ा सैर कर आते  हैं सेहत के लिए अच्छी होती है । विनय ने हामी भर दी और उनके साथ सैर करने  चला गया । रास्ते में ताई जी ने विनय से कहा तुम्हारे ताऊजी की तुम्हारे पापा से क्या बात हुई मुझे नहीं पता , रमा यहां पर रहे मुझे इस पर कोई एतराज नहीं है , मगर मैं तो बस इतना कहना चाहती हूं कि लड़की जात है अगर कोई ऊंच-नीच हो गई तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी । ताई जी अपना "पासा" फेंक चुकी थी, विनय भी काफी समझदार था वह उनका मतलब अच्छे से समझ गया था । वह चुप रहा और घर आकर रमा से बोला चलो वापस घर चलते हैं ,  इस वर्ष स्कूलों में सभी सीटें फुल हो गई हैं अगले वर्ष एडमिशन की पुनः कोशिश करेंगे ।

✍️विवेक आहूजा 

बिलारी 

जिला मुरादाबाद 

@9410416986

Vivekahuja288@gmail.com

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