बुधवार, 30 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की कहानी ---- मेरा भारत महान

सारे गांव में एक अजीब सन्नाटा सा पसरा है।कोई किसी से बातें करना तो दूर किसी की ओर देखना तक गवारा नहीं कर रहा।

   अपनी चौपाल में पंडत जी,अपनीचौपाल में चौहान साहब,घर के बाहर बनी अपनी छोटी सी बंगलिया में दीवान पर उदास बैठे माथुर साहब तथा पीपल के पेड़ के नींचे खरैरी चारपाई पर बैठे चौधरी साहब हुक्के में बेमन से दम लगाकर अपनी चिंता को नहीं रोक पाते हुए कहते हैं।है ईश्वर सबको सद्बुद्धि देना।

  तभी एक लंबी -चौड़ी फॉर्च्यूनर गाड़ी आकर गाँव के शुक्ला जी के मकान के बाहर रुकी।उसमें से करीब छह फीट लंबे खद्दर का सफेद कुर्ता और पाजामा पहने एक नेता जी उतरे।उनके साथ उनके कई हाली-मुवाली चमचे भी  हाथों में अलग-अलग तरह के असलहे  लेकर उनकी सुरक्षा में उतरे।

        नेता जी ने चारों ओर ही नज़रें दौड़ाईं तथा प्रधान जी,ओ प्रधान जी कहकर दो-तीन आवाज़ें भी लगाईं,परंतु किसी के कान में जूं तक न रेंगती देख नेता जी ने सोचा कि मेरे आने पर जिस गांव में एक शोर सा मच जाता था।हर कोई व्यक्ति मुझसे मिलने की तत्परता दिखाने में अग्रणी बनने की जुगत में रहता था।

         कोई पानी तो कोई चाय-नाश्ता लेकर आने के साथ-साथ साफ सुथरी बैठक में बैठाने के लिए अपनी साफी से ही कुर्सी मेज साफ करता नजर आता था।परंतु आज तो जिसकी तरफ देखो नज़रें फेर लेने को ही प्राथमिकता देता दिखाई दे रहा है।

    लगभग सभी के पास जाकर नेता जी ने इस बेरुखी का कारण जानने का प्रयास किया परंतु कोई सफलता नहीं मिली।तभी गांव के एक जिम्मेदार बुजुर्ग ने सारे गांव की आंतरिक पीड़ा को कुछ इस तरह बयान किया,,,,,

       'नेता जी' हमारा गांव कोई ऐसा-वैसा गांव नहीं आदर्श गांव है।यहाँ सारी कौमें एक परिवार के समान एक दूसरे की भावनाओं का आदर-सम्मान करते हुए गांव की प्रगति और खुशहाली कायम रखने को ही अपना सबसे बड़ा धर्म मानती हैं।

        यहाँ हरेक त्योहार हम सभी का त्योहार होता है।हर किसी मंगल कार्य में एक दूसरे की उपस्थिति महायज्ञ में आहुति। डालने के समान ही आपसी प्यार और भाईचारे को बल प्रदान करती नज़र आती हैं।हम हिन्दू-मुस्लिम का फर्क अपने दिमाग में नहीं रखते।

      नेता जी कुछ कहते इससे पहले ही सभी ने एक स्वर में नेता जी से कहा तुम्हें आपस में लड़ाकर वोट लेना ही आता है।सुना है हमारे देश से हमारे जिस्म के एक हिस्से से बेवजह ईर्ष्या को पनपने का मौका दिया जा रहा है।

     अनेक समाचार माध्यमों एवं कुछ शरारती तत्वों ने हमारे गांव में ऐसी खबरें फैलाकर हम सभी की चिंता को बढ़ा दिया है।उसी का परिणाम आपको देखने मिल रहा है।क्या ऐसा ही है नेता जी?

      नहीं -नहीं ऐसा कुछ नहीं है।आप लोग बिल्कुल भी चिंता न करें।हम एक थे,हम एक हैं,हम एक रहेंगे।यह कहते हुए नेता जी ने गांव के सम्मानित मुस्लिम परिवारों को आश्वस्त करते हुए गले से लगाया और सभी गांववालों के बीच बैठकर प्रेम पूर्वक जल पान करते हुए कहा में तो डर ही गया था।वैसे भी व्यर्थ आशंकाऐं दुख का कारण तो बनती ही हैं।हमारा संविधान भी हमें ऐसा करने की आज्ञा नहीं देता।

     तभी तो सभी कहते हैं ।,,,,

        मेरा भारत महान

✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,

     मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453

      

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