बुधवार, 23 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की लघुकथा ---बेटा या बाप-


अरे तुम सुनते ही नहीं हो, अपनी चलाये जा रहे हो, जैसा मैंने बताया वैसा करो, रामबाबू क्रोध में अपने जवान पुत्र पर चिल्लाये। 

ठीक है, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मुझसे मत कहिएगा, बड़बड़ाता पैर पटकता हुआ उनका पुत्र चला गया।

आप को लल्ला से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए,  अब वह बच्चा नहीं है बल्कि बच्चों वाला है, पानी का गिलास देते हुए  उनकी पत्नी ने उन्हें समझाया ।

अरे तुम कैसी बात करती हो, कितना ही बड़ा हो जाये, मेरा तो बेटा ही रहेगा बाप थोड़े ही हो जायेगा, रामबाबू बोले।

तभी भीतर से बाबूजी की आवाज आई: अरे बेटा मेरा च्यवनप्राश खत्म हो गया है, लल्ला से कहकर मँगवा देना।

लो अब इनकी सुनो, अरे, पहले से क्यों नहीं बताया, अब वह चला गया तो कह रहे हो। अब दो तीन दिन ऐसे ही काम चलाओ। रामबाबू चिल्लाये ।और बाबूजी चुपचाप उनकी ओर देखते रह गये।

✍️श्रीकृष्ण शुक्ल

MMIG - 69,

रामगंगा विहार, मुरादाबाद ।

मोबाइल 9456641400

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