सरस सुुकोमल भावों की, मधुर रसधार है हिंदी
विश्व पटल पर परचम लहराती,हृदय का स्वाभिमान है हिन्दी
कबीर की अक्खड़ भावों की,साखी सबद,रमैनी हिंदी
गोकुल के कुंज गलिन की,राधा कृष्ण की रास है हिन्दी
तुलसीदास के रामचरित औ, सीता सी पावन है हिंदी
जायसी के पद्मावती सी,प्रेम और श्रृंगार है हिन्दी
बिहारी और घनानन्द की मृदुल भाव सुजान है हिंदी
हिंदी से हम हिंदुस्तानी ,केशव औ रसखान है हिन्दी
छायावाद के बिम्ब ,प्रतिकों की कोमल भाव है हिंदी
प्रेम और श्रृंगार प्रसाद की,श्रद्धा सी कोमल भाव है हिंदी
पन्त की सुकुमार कल्पना,निराला की महाप्राण है हिंदी
महादेवी की भाव-लहरी सी मर्यादित ,नारी की अभिमान है हिंदी
मां की ममता सी दुलराती, लोरी की मधुर संगीत है हिंदी
बरगद की छाया विशाल ,पीपल पात सरिस है हिंदी
चंदन सी बंदित भारत के ललाट की मान है हिंदी
मिट्टी की खुशबू से लिपटे ,किसानों की पहचान है हिंदी
मजदूरों की पीड़ा संग ,रोटी की मीठी स्वाद है हिंदी
जन ,मन की पूजा है हिंदी, सबका दृढ़ विश्वास है हिंदी
देश और विदेश में,अपनों की पहचान है हिंदी
हिमालय की उत्तुंग शिखर सी,भारत माँ की भाल है हिंदी
हिन्दवासी की धड़कन हिंदी, आंगन की फुलवारी सी
हिंदी से सारी दुनियां और ,हिंदी है पहचान हमारी
✍️ डॉ मीरा कश्यप , मुरादाबाद 244001
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