बुधवार, 23 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की लघुकथा -- रामराज

..........कल इंटरव्यू है अस्पताल में 25 वैकेंसी  हैं।

 " कैसी तैयारी कर रखी है ?"प्रमोद जी ने पूछा

"तैयारी तो खूब अच्छी की है..... परंतु...!"मनीष के स्वर में लाचारी और झिझक थी ।

"परंतु क्या ?"

"पैसा चल रहा है !" और वह भी 5 लाख से ज्यादा !

"फिर"??

"मंत्री जी से सिफारिश लगवाई है.....

 बहुत सुना था अब रामराज है".... "शाम को फोन पर बताएंगे ....क्या हो सकता है? "मनीष ने पूरी व्यथा कथा कह डाली....!

       ..... शाम को मंत्री जी से फोन पर बात हुई उन्होंने कहा "मुबारक हो काम हो जाएगा.... बड़ी मुश्किल से तैयार हुए  हैं...इंटरव्यू वाले 10 मांग रहे थे तुम्हारी मेरिट अच्छी है इसलिए मैंने साफ कह दिया 8 से ज्यादा नहीं मिलेंगे !.... अब मिठाई की तैयारी करो ....! तुम्हारी नौकरी पक्की ...!!"

      मनीष के तो होश ही उड़ गए । दुनिया घूमती हुई नजर आने लगी  !  फिर सोचने लगा आखिर किस्मत भी तो कोई चीज है !

.......... इंटरव्यू बहुत शानदार रहा..... परंतु मनीष की हालत आठ लाख जुटाने की नहीं थी..... सेठ धनराज के लड़के मनोज ने भी इंटरव्यू दिया था.. परंतु वह इंटरव्यू फेस नहीं कर पाया..!. मेरिट में भी वह सबसे नीचे था...........

     ..... मंत्री जी का फोन आया मनीष की हिम्मत नहीं हुई  ...... बात करने की....... !!

....मंत्री जी से अच्छा तो ठेकेदार संजय था जिसने 5 की डिमांड की थी....!

       .....ये क्या ?.... परिणाम आ चुका था.. मनोज घूम घूम कर मिठाई बांट रहा था.......और......मनीष बार-बार अखबार पलट कर देख रहा था उसका कहीं नाम नहीं था..........!!

                 

,✍️अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर,  मुरादाबाद

82 18825 541

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