इंसानियत से गिरती हुई
बात न करना
प्यारी सी जिंदगी के साथ
घात न करना।
हम सही तो सारा ज़माना
सही है यार
घृणा की राह पर न बढ़ाओ
कदम हर बार
बर्बादियों की बातें कभी
ज्ञात न करना।
इंसानियत से---------------
हर बात में मिठास भरी हो
भरा हो प्यार
हो गुल की तरह रेशमी हर
शब्द में निखार
शापित किसी के सरपे कभी
हाथ न धरना।
इंसानियत से--------------
खुशियां सभी की हैं ज़रा यह
बात जान लो
बस बांटना है प्यार इसको
सही मान लो
खुशियों के सवेरों में सिया
रात न भरना।
इंसानियत से----------------
किसके लिए ईश्वर का कौन
रूप धरेगा
खुश होके पीर सबकी यहां
कौन हरेगा
प्रतिघात कभी अपनों से है
तात न करना।
इंसानियत से----------------
जो सबसे मिलकर धरती पर
रह लेता हो
जो सबके लिए हर कष्ट भी
सह लेता हो
शतरंज की चालों सा कभी
मात न करना।
इंसानियत से----------------
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0- 9719275453
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