बुधवार, 30 सितंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की कहानी ----चाबुक


अजब सिंह को रिश्वत लेने के आरोप में एक साल की सजा हुई।उसके बच्चों की देखभाल उसके बडे़ भाई एवं भाभी की जिम्मेदारी बन गयी क्योंकि पत्नी की मृत्यु के बाद वह अपने बच्चों को विमाता का दुख नहीं देना चाहता था इसलिए स्वयं ही बच्चों का पालनपोषण कर रहा था।अपने वेतन से उसकी सारी जरूरत पूरी हो जाती थी।मगर साथी मित्र के लिए आया लिफाफा उसके कहने पर उसने बिना देखे रख लिया अगले पल ही एन्टी करप्शन टीम ने उसे पकड़ लिया।उसकी किसी ने एक न सुनीऔर सजा हो गयी।ताई ताऊ का व्यवहार थोडे़ दिन तो सही रहा मगर अब ताई से घर का काम न होता। सुबह से शाम तक मोनी को घर के काम करने पडते और मुन्ना के पैर बाहर भागते भागते थक जाते।रात को दोनो भाईबहन गले लगकर आसूँ बहाते।एक दिन पास की काकी कह रही थी ,"कितना सीधा दिखता था,अरे जब रिश्वत लेता था तो दे देता तो छूट न जाता।आजकल तो जज पैसा और लड़की देखकर डाकू को भी छोड़ देते हैंं"। ताई  ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई।रात को दोनोंं बच्चों ने आपस मे बात की।सुबह उठने पर दोनों को घर मे न पाकर गांव भर मे शोर हो गया।उधर मोनी और मून्नू दोनो जज साहब की कोठी पर पहुंचे।दरबान ने रोक लिया।बोला "साहब नहीं मिलते किसी से,भागो। बच्चों की रोनी सूरत देखकर बोला, "रुको पता करके बताता हूं"।

आज जज साहब का मूड अच्छा था, बोले ,"बच्चे, उनको क्या काम है? चलो बुला दो।"दोनों बच्चे अंदर आये।अपनी जेब से 50 रुपये-निकालकर हाथपर रखे और बोले,"आप ये  ले लीजिए, हमारे पापा को छोड़ दीजिए।काकी कहती है कि आप पैसे लेकर डाकू को भी छोड़  देते हैंं। मेरी बहन बहुत सुन्दर है आप इसे भी रख लीजिए आपका काम कर देगी,ताई कहती है सुन्दर लडकी देखकर सब काम कर देते है।देखिए मेरी बहन सुन्दर है ना"।"बस हमारे पापा को छोड दीजिए।पापा बिना कुछ अच्छा नही लगता।ताई बहुत काम करवाती हैं, खाना कम देतीहै"।

बच्चों की बाते सुनकर जज साब को लगा किसी ने उनपर चाबुक बरसा दिये।अपनी पत्नी की ओर नजर न उठा सके।

✍️डा.श्वेता पूठिया,मुरादाबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें