शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह का वर्णमाला गीत


 अ से अनार आ से आम , आओ सीखें अच्छे काम ।

इ इमली ई से ईख , माँगो कभी न बच्चों भीख ।

उ उल्लू ऊ से ऊन , कितना सुंदर  देहरादून ।

ऋ से ऋषि बडे तपस्वी , देखो वे हैं बड़े मनस्वी ।

ए से एड़ी ऐ से ऐनक , मेले में है कितनी रौनक ।

ओ से ओम औ से औजार , आओ सीखें अक्षर चार ।

अं से अंगूर अः खाली , आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली । आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

क से कमल ख से खत , किसी को गाली देना मत ।

ग से गमला घ से घर , अपना काम आप ही कर ।

ड़ खाली ड़ खाली , झूल पड़ी है डाली डाली ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली , आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

च से चम्मच छ से छतरी , लोहे की होती रेल पटरी ।

ज से जग झ से झरना , दुख देश के सदा हैं हरना ।

ञ खाली ञ खाली , गुड़िया ने पहनी सुंदर बाली ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली, आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

ट से टमाटर ठ से ठेला , सुंदर होती प्रातः बेला ।

ड से डलिया ढ से ढक्कन , दही बिलोकर निकले मक्खन ।

ण खाली ण खाली , रखो न गंदी कोई नाली ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली , आओ बजाएँ मिलकर ताली  ।

त से तकली थ से थपकी , मिट्टी से बनती है मटकी ।

द से दूध ध से धूप , राजा को कहते हैं भूप ।

न से नल न से नाली , गोल हमारी खाने की थाली ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली , आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

प से पतंग फ से फल , बड़ा पवित्र है गंगाजल ।

ब से बाघ भ से भालू , मोटा करता सबको आलू ।

म से मछली म से मोर , चलो सड़क पर बाँयी ओर ।

य से यज्ञ र से रस्सी , पियो लूओं में ठंडी लस्सी ।

ल से लड्डू व से वन , स्वच्छ रखो सब तन और मन ।

श से शेर ष से षट्कोण , अंको का मिलना होता जोड़ ।

स से सड़क ह से हल , अच्छा खाना देता बल ।

क्ष से क्षमा त्र से त्रिशूल , कड़वी बातें देती शूल ।

ज्ञ से ज्ञान देता ज्ञानी , हमें देश की शान बढ़ानी ।

आओ बजाएँ मिलकर ताली , आओ बजाएँ मिलकर ताली ।

✍️  डॉ रीता सिंह

चन्दौसी (सम्भल)

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