गुरुवार, 17 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के सिरसी (जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार कमाल जैदी वफा की कहानी ---- कर्बला का नन्हा शहीद


रोजाना की तरह बुधवार की शाम सायमा अपनी नानी से कहानी सुनने की जिद करने लगी. नानी कहने लगी कि -'बेटी आज मेरा दिल कहानी सुनाने का नही है यह गम के दिन है. मोहर्रम का महीना गम का होता है. खासकर मोहर्रम के दस दिन बहुत गम के होते है. इन दिनों में हम लोग मजलिस मातम कर कर्बला के शहीदों का गम मनाते है' नानी की बात सुनकर सायमा और जिज्ञासु हो गई कहने लगी - 'नानी  कर्बला में क्या हुआ था? मुझे भी बताओ न'| नानी ने दुपट्टा सर तक ओढ़ा और कहना शुरू किया- 'सायमा  हम जिस  नबी( स) की उम्मत में है. अब से चौदह सौ साल पहले उन्ही की उम्मत के  लोगो  ने नबी (स) के प्यारे नवासे हजरत इमाम हुसैन  और उनके 72 साथियों को  उस समय के क्रूर तानाशाह , और अत्याचारी बादशाह यजीद  के हुक्म पर बड़ी बेदर्दी से शहीद कर दिया था. उन शहीदों में इमाम हुसैन का छह माह का बेटा नन्हा सा मासूम अली असगर भी था.'  सायमा ने बड़ी हैरत से कहा-' नानी, इतने छोटे बच्चे को क्यों शहीद  किया गया? इतने छोटे बच्चे से तो कोई ख़ता भी नही हो सकती.'  'हाँ सायमा,  नन्हे अली असगर तो मासूम थे.  और तीन दिन के प्यासे थे. दुश्मन फ़ौज ने इमाम और उनके घराने पर  तीन दिन से खाना- पानी बंद कर दिया था. इमाम की तरफ के लोग भूखे प्यासे थे.  दुश्मन उनका पानी बंद करके उन्हें झुकाना चाहता था. लेकिन इमाम के साथी जालिम यजीद के सामने झुकने को तैयार नही थे. वह सच्चाई और हक पर थे. इमाम  नन्हे अली असगर को लेकर मैदाने जंग में गये और कहा के -'तुम लोग मुझसे दुश्मनी रखते हो लेकिन इस मासूम बच्चे ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?  यह तीन दिन का प्यासा है. इसे थोड़ा सा पानी पिला दो अगर तुम यह समझते हो कि इसके बहाने से मैं पानी पी लूंगा. तो लो, तुम खुद इसे पानी पिला दो.' यह कहते हुए इमाम ने नन्हे अली असगर को जमीन पर लिटा दिया. नन्हे अली असगर ने सूखी हुई ज़बान होंठो पर फिराई तो दुश्मन की  फ़ौज में भी एक इंकलाब आ गया.' फौजी कहने लगे कि  'हाँ, इस बच्चे ने तो किसी का कुछ नही बिगाड़ा.'  फ़ौज की हालत देखकर कमांडर ने एक निर्दयी सैनिक को हुक्म दिया के हुरमला  इमाम के कलाम को खत्म करदे इमाम ने नन्हे अली असगर को गोद मे उठा लिया लेकिन तभी जालिम हुरमला ने तीन फल का ऐसा तीर मारा के नन्हा बच्चा इमाम के हाथों में शहीद हो गया और तीर  नन्हे अली असगर की गर्दन में होता हुआ इमाम के बाजू में जा लगा जिससे खून का फव्वारा फूट पड़ा नन्हे अली असगर की शहादत का बयान सुनकर सायमा की आंखों से आंसू बहने लगे वो रोते हुए बोली 'नानी  वह कैसे जालिम थे जिन्होंने एक मासूम पर भी तरस नही खाया  मैं कभी उन्हें माफ नही कर सकती खुदा ऐसे लोगो को सख्त से सख्त सजा देगा '#
   
 ✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
      सिरसी , सम्भल
     9456031926

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