गुरुवार, 17 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी ----नन्ही परी


टर्र्रर्न....टर्र्रर्न....टर्र्रर्न...........
ट्रर्र्नर्न...... फोन की घंटी बजे चली जा रही थी...... राजेश को काम समेटते हुए ये बहुत बुरा लग रहा था
हमेशा फालतू के फोन आते रहते हैं.... क्लोजिग में व्यवधान उसे कतई पसंद न था.... बार-बार फोन की घंटी बजे जा रही थी चलते-चलते अकाउंट में कुछ गलती हो जाए तो ?..?........ वह लगातार फोन को इग्नोर करता रहा.......!!
     ..... उधर वरुणा ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी "हे प्रभु किसी तरह ये फोन उठा  लें.".... बीसयों बार फोन कर चुकी थी..... परंतु होनी को तो कुछ और ही मंजूर था कहते हैं विपत्ति मैं सब उल्टा पुल्टा हो जाता है........
          ...... राजेश को क्या पता था  उसकी दुनिया ही उजड़ी जा रही है.....!! ... उसकी इकलौती फूल सी बच्ची.!!... परी सी बेटी रानू .!... जिंदगी और मौत के बीच में झूल रही थी... उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई भी नहीं था.....!!
     ...... अंततः राजेश बिना फोन सुने ही अपने ऑफिस से निकल गया उस समय मोबाइल फोन नहीं थे... रास्ते में भयंकर जाम लगा था.............
परंतु राजेश का दिल एक अनहोनी आशंका से..... यूं ही धड़का जा रहा था....... जैसे कुछ बहुत बुरा होने वाला हो....!
         ...... घर पहुंच कर देखा दरवाजे पर ताला लटका था ।पड़ोसियों ने देखा तो फौरन राजेश से कहा .... "फोरन सिविल अस्पताल चले जाओ; रानू ने कुछ खा लिया है.;.... हालत बहुत गंभीर है..."
राजेश को जैसे ...अप्रत्याशित एक जोरदार घूंसा सीने में लगा हो ...मोटरसाइकिल अस्पताल की ओर मोड़ दी ... भैया ,भाभी , दूसरे मकान से सारे केसारे घर वाले अब तक पहुंच चुके थे अस्पताल में बहुत भीड़ थी जान पहचान के तमाम लोग पूरा अस्पताल भरा था...!!
     .... राजेश को देखते ही.. रानू जोर-जोर से चीखने लगी ""पापा मुझे बचा लो ! ..सॉरी पापा!!....""
"पापा बहुत दर्द हो रहा है ! पेट में बहुत जलन हो रही है ..!... मेरे अच्छे पापा  !  अपनी रानू को बचा लो !!"
पापा!! ..... पापा ...!!!
        ..... प्राइवेट अस्पतालों ने किसी ने भी एडमिट नहीं किया..... रानू का हाई स्कूल का मैथ का पेपर था... बड़े उत्साह से चहकते हुए मम्मी से कहा ,"मम्मी ! मेरा पूरा पेपर अच्छा हुआ है पूरे पूरे नंबर आएगें..."!
वरुणा ने साल्व करते हुए चेक किया ...... तीन प्रश्न गलत पाये.... लगी चिल्लाने "तुझे शर्म नहीं आती.!"..."कर दिए गलत!". "हो जाएगी फेल.!... क्या मुंह दिखाएंगे हम किसी को ?? " जेठ की लड़की सोना देख कितनी होशियार है हमेशा टॉप करती है !!.".."और एक तू है हमेशा खेल में लगी रहती है एग्जाम की ठीक से तैयारी की होती तो ऐसा क्यों होता..!". और आव देखा न ताव..चटाक!!... गाल पर एक जो़र का लगा दिया...
     ...... बाल मन सहन न कर सका गेहूं में रखने वाली सल्फास की 3 गोलियां पानी से गटक गई....
परंतु  सोचती थी मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं मुझे जरूर बचा लेंगे...... उसे क्या पता था ??... क्या होने वाला है..... ?? राजेश के जिगर का टुकड़ा जो थी वह.....!बड़े नाज़ों से पाली जा रही थी.... बेचारी अबोध बालिका!!!
       ..... रानू के जन्म के समय कॉम्प्लिकेशन होने के कारण वरुणा का गर्भाशय भी निकाल दिया गया था.... राजेश ने जमीन आसमान एक कर दिया डॉक्टरों की टीम लाकर खड़ी कर दी नगर के विधायक जी आ गए!.... राजेश हमेशा सबकी मदद के लिए तत्पर रहता था समाज में उसे सब बहुत प्यार करते थे आज उस पर संकटों का पहाड़ टूट पड़ा था.... एक छोटी सी घटना ने इतना बड़ा रूप ले लिया था ...!!! सब हत प्रभ थे ...सब बेबस..
         सारे प्रयास बेकार गए जहर अपना असर दिखा रहा था.. धीरे धीरे रानू की देह से उसके प्राण निकल रहे थे ... शरीर ठंडा पड़ता जा रहा था माहौल बेहद गमगीन और बोझिल हो चला था.... थोड़ी ही देर में अस्पताल में मातम पसर गया और मच गया कोहराम.....!
        .... मैथ में गलत हुए तीन प्रश्न... दांव पर लगी एक अबोध फूल सी बच्ची की जान......!

               
 ✍️ अशोक विद्रोही
 412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
82 188 25 541



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