इतने दिन हो गए मम्मी जी
कोरोना के नाम पर।
घर में बंद हुए हम बच्चे
जाएं बड़े सब काम पर।।
कब स्कूल खुलेंगे अपने,
कब जाएंगे हम बाहर?
घर के भीतर रहते रहते
वहीं रुटीन, वहीं खाना।
सच कहते हैं मम्मी जी हम
अब चाहते बाहर जाना।।
सिर में दर्द,जलन आंखों में
आनलाइन पढ़ते पढ़ते।
कुछ समझे,सब समझ न पाए
नया नहीं कुछ भी गढ़ते।
बस एक बात बता दो मम्मी,
बच्चों को क्यों घर रोका?
कोरोना का डर है सच में,
या इसमें कोई धोखा।
बेटा! सही कह रहे हो तुम,
सचमुच हो जाते हो बोर।
लेकिन इतनी बात समझ लो,
कोरोना का चल रहा दौर।।
बंद सभी स्कूल और कालेज,
रहो सुरक्षित अपने घर।
इसमें कोई नहीं है धोखा,
बस कोरोना का ही डर।
जितनी कर सकते आराम से
बस उतनी ही पढ़ाई करो।
ठीक ठाक सब हो जाएगा
बेटा बिल्कुल नहीं डरो।
पापाजी की ड्यूटी जारी,
इसलिए करते रोज सफर।
जनता की स्वास्थ्य सेवा में
लगे हुए सभी डॉक्टर।
बेटा,विषम परिस्थितियां हैं,
करना होगा समझौता।
वक्त बदल जाएगा यह भी,
सदा एक सा न होता।
✍️डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर,उत्तर प्रदेश
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बच्चों तुम चलते चलो, ले आशा के दीप।
ले जायेंगे लक्ष्य के, तुमको यही समीप।।
साहस रख बढ़ते चलो, अन्धेरे को चीर।
पथ अपना है ढूँढता, जैसे नदिया-नीर।।
साया तम का है घना, मेरे चारों ओर।
कोई ऐसी राह हो, दिखा सके जो भोर।
मेरे मन ले चल मुझे, अब उस पथ की ओर।
चल कर जिस पर पा सकूँ, मैं मंज़िल का छोर।।
उड़ तू नभ की ओर अब , अपना ढूँढ जहान
मिल जाएगा लक्ष्य भी , भरकर नयी उड़ान
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
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खुशियों का संसार हमारा
छुट्टी में जब हम हैं जाते
नाना नानी खुश हो जाते
अपनी बहुत प्रतीक्षा करते
दोनों प्यार बहुत हैं करते
मैं नानी की राजदुलारी
और भैया है राज दुलारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा
नानी के घर दो गैया हैं
एक बहना और एक भैया है
मामा रोज जलेबी लाते
सब मिल दही जलेबी खाते
उधम मचाते कभी झगड़ते
खाते कसम ना आएं दोबारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा
नहर किनारे बसा गांव है
शुद्ध हवा और धूप छांव है
नाना संग खेत पर जाते
नलकूप के पानी में नहाते
फिर बागिया से अमियां लाते
अजब खेत और ग़ज़ब नज़ारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा नाना
पर इस बार नहीं जा पाए
कोरोना ने होश उड़ाए
बहुत भयंकर बीमारी है
घोषित हुई महामारी है
अखिल विश्व इससे है हारा
पूछो मत कितनों को मारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा
अबकी अरमां मिल गए माटी
सारी छुट्टी घर में काटी
कोरोना से सब हैं बेदम
केवल घर में कैद हुए हम
ऊब गये हैं पढ़ते पढ़ते
होते बोर रहे दिन सारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा
मिलने से मजबूर हो गए
नाना-नानी दूर हो गए
हे प्रभु अब तो दया दिखाओ
कोरोना को मार भगाओ
दुखी हो रहे नाना नानी
निशदिन रस्ता तकें हमारा
नानी का घर हमको प्यारा
खुशियों का संसार हमारा
अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
82 188 25 541
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हम बच्चों को मिल गया ,मोबाइल उपहार
मोबाइल उपहार ,ऑनलाइन अब पढ़ते
पढ़कर ढेर सवाल ,रोज उत्तर हम गढ़ते
कहते रवि कविराय ,मजा यह हमें न खोना
अच्छा तिरछा - लाभ ,दिया तुमने कोरोना
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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सड़ जाएंगे दांत तुम्हारे
ज्यादा मीठा मत खाना
दर्द करेगा, मुँह सूजेगा
बहुत पड़ेगा पछताना।
नींद नहीं आएगी तुमको
मुश्किल होगा सो पाना
टॉफी,चॉकलेट का तुम पर
यही लगेगा जुर्माना।
जब भी मीठा दूध पियो तो
दाँत साफ करके आना
कोई फिर कुछ दे खाने को
लेकिन कुछ भी मत खाना।
बच्चो कुछ पाने की खातिर
कुछ तो पड़ता है खोना
पिज्जा, बर्गर, टॉफी सबसे
कहना पड़ता है, अब ना।
अच्छे बच्चे सभी बड़ों का
सदा मानते हैं कहना
तभी हमेशा सुंदर दिखते
लगते घर भर का गहना।
टीना, टीनू, तरु, हिमानी
पंकज असमी और मोना
मोती जैसे दांतों के संग
तुम खुलकर के मुस्काना।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0--- 9719275453
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प्यारे बच्चाें ये सुंदर जीवन,
निराश कभी नही हाेना है |
कभी खुशी मिले यहाँ पर,
तो दुख भी हँसकर सहना है |
सुबह नरम व दाेपहर गरम ,
कभी रात चाँदनी हाेती है |
जी भर खाना मौज मनाना,
प्यारा ऐसा बचपन हाेता है |
कभी उछलना कभी कूदना,
सबकाे जी भर मस्ती देता है |
प्यार -दुलार सबकाे भरपूर ,
क्याें लौटकर फिर नही आता है?
✍🏻सीमा रानी
अमराेहा
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मोबाइल में ही हो जाते अब तो सारे काम।।
खेल कूद पर भी पाबंदी कैसे दिन बेकार ।
अब तो मुश्किल लगता है ये हर पल का आराम ।
याद बहुत आता है वो टीचर का हमें डपटना।
उत्तर याद नहीं आये तो मुँह में थूक गटकना।।
इंटरवल में सबका मिलकर हल्ला गुल्ला करना।
एक दूजे के लंच बॉक्स से खाना साझा करना।
जी करता है कोरोना जी जल्दी से मिट जायें।
हम पहले की भाँति रोज विद्यालय में जा पायें।
और शाम को रोज पार्क में जाकर खेलें कूदें।
वीक एंड पर पापा के संग पुनः घूमने जायें।
✍️श्रीकृष्ण शुक्ल
MMIG-69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद ।
मोबाइल 9456641400
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देखो हम बच्चों की प्यारी,
नानी ज़िन्दाबाद।
राजा-रज़िया-बिन्दर-असलम,
सारे उनको प्यारे।
सबको हँसकर बड़े प्रेम से,
आकर रोज सँवारे।
करती रहती सबके सुख की,
भगवन से फ़रियाद।
देखो हम बच्चों की प्यारी,
नानी ज़िन्दाबाद।
प्रात: उठकर सबसे पहले,
आकर हमें जगाती।
पास बिठाकर फिट रहने के,
नुस्खे खूब बताती।
हम पौधे हैं पाते उनसे,
ममता रूपी खाद।
देखो हम बच्चों की प्यारी,
नानी ज़िन्दाबाद।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
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बादल कैसे जल बरसाता?
ग्रीष्म के ही बाद क्यों आता?
आता है; क्यों झड़ी लगाता ?
नदी-नालियां भर जाते हैं
सड़कों पर जल ही पाते हैं ।
शहरों का तो हाल बुरा है
बीच नदी ज्यों तना खड़ा है ।।
अति वर्षा जब हो जाती है
नदी-बांँध भी उफनाती है ।
बहता है जब इनका पानी
याद दिला देता है नानी ।।
खेत-गांँव सब पानी-पानी
पशु-पक्षी करते हैरानी !
जान-माल पर भी बनती है
वर्षा इतनी क्यों पड़ती है ।।
टी वी वाले बाढ़ दिखाते
दृश्य देखकर मन घबराते ।
घर-पहाड़ पानी में ढ़हते
दिल पर पत्थर रख सब सहते ।।
इतनी वर्षा मत बरसाओ
इन्द्रदेव अब दया दिखाओ ।
मात -भूमि कुछ जल को पी लें
जीव-जंतु तब सुखमय जी लें ।।
✍️राम किशोर वर्मा
रामपुर
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मम्मी मम्मी,प्यारी मम्मी
क्या दोगी मुझको उपहार
जन्मदिन आता है मेरा
पूरे एक साल के बाद
लेकिन तुमको ना जाने क्यों
कभी नहीं रहता है याद
बहुत हो गया, अब तो छोड़ो
अपना क्लबों का संसार
नहीं चाहिए नौकर आया
नहीं चाहिए कोर्इ खिलौना
नहीं चाहिए चॉकलेट भी
और ना ये मखमली बिछौना
ममता की गोदी मिल जाए
मिल जाए थोड़ा सा प्यार
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T - 2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600
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मिठ्ठू तोता पिंजड़े में भी ,
सबका जी बहलाता है ।
सुबह आम की गुठली भाय,
शाम को काजू खाता है ।
घर में जब मेहमान पधारें ,
यह कहता है राम राम ।
बिन पूंछे ही सबसे कहता ,
मिठ्ठू मेरा प्यारा नाम ।
जब कोई पकवान बने तो ,
माँग माँग के खाता है।
मिठ्ठू****
मिठ्ठू और पटे की बोली,
लगती उसके मुख से प्यारी ।
लाल चोंच और हरे पंख से ,
उसकी सूरत सबसे न्यारी ।
बच्चों की जब डांट पड़े तो ,
उनकी नकल बनाता है ।
मिठ्ठू******
✍️डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद
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बारिश ,बादल ,मस्त पवन सब
मन मर्जी के मालिक हैं
मैं ही बस खिड़की से झांकू
सूना मन घर सूना है ।
पीटर के घर एक बहन है
सुन्दर गुड़िया ,जादू सी
बहुत चार्मिंग मुझको लगती
वो क्यूट डाॅल बार्बी सी ।
रोली चावल माथे टीका
बांधे राखी मेरे भी
मैं सारी चाकलेट दे दूँ
गोलू मोलू हाथी भी ।
चहक चहक कर चिड़िया है खुश
ये डाॅगी मस्ताना भी
मैं ही बस इकलौता बालक
घर में बंद खिलौना सा ।
दादा-दादी नाना -नानी
सबको ढूंढू भोला सा
मन कहता है मेरा भी हाँ
सबके बीच रहूं मैं अब।
मम्मी अपने ऑफिस जातीं
फिर डैडी जी भी जाते
मैं ही बस रह जाता घर में
और काका जी सो जाते ।
तड़ -तड़ करके बारिश होती
काले बादल घिर आते
ठंडी -मस्त हवा भी चलती
पर मुझको तनिक न भाते ।
✍️मनोरमा शर्मा
अमरोहा
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रोज सुबह तुम जल्दी जागो।
तितली के पीछे मत भागो।
साफ सफाई का हो ध्यान।
मल-मल नित्य करो स्नान।।
प्रभु के चरणों में सिर नवाओ।
हँसते-हँसते पढ़ने जाओ।
पढ़ लिख कर तुम बनो महान।
ऊँची रखना देश की शान।।
आपस के सब द्वेष भुलाकर।
चलना सबको साथ मिलाकर।
बढ़े पिता माता का मान।
मिले तुम्हे अच्छी पहचान।।
कभी किसी को नहीं सताना।
सच्ची सदा ही बात बताना।
लेकिन ना करना अभिमान।
सबका करना तुम सम्मान।।
मानवता के हित के काम।
इनमें मत करना विश्राम।
सदा बढ़ाना अपना ज्ञान।
इसको निज कर्तव्य मान।।
✍️नृपेन्द्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
9045548008
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छोटी सी चिडिय़ा फुदक फुदक कर उडना चाहती है.
पिंजरे में न बान्धो मुझको यह कहती जाती है।
मुझको उडना है दूर दूर तक
क्षितिज तक जाना है जरूर
मेरी स्वत्रंता है अमूल्य
मेरा है न कोई मूल्य।
✍️श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
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बच्चो! राष्ट्रीय-फल मैं आम।
मुझको खाते मिट्ठू राम।
वैसे मेरा नाम है *आम*।
बहुत खास हूँ ,न बस आम।
खट्टा-मीठा रस है मुझमें।
सौ से ज्यादा मेरी किस्में।
दशहेरी,चौसा और लंगड़ा।
खाता जो करता है भंगड़ा।
मुझको काली-कोयल खाती।
खाकर मीठा गाना गाती।
सब फल का मैं ही हूँ राजा।
रस मेरा है ताजा-ताजा।
देखो! मुख में आया पानी।
खाओगे होगी हैरानी।
,✍️ दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन,कृष्णा कुंज
बहजोई (सम्भल) पिन-244410
मो. 9548812618
ईमेल-deepakchirag.goswami@gmail.com
सभी साहित्य-साधकों की शानदार काव्य अभिव्यक्ति, सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
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