शनिवार, 19 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ------ मच्छर से बातचीत


 माई डियर मच्छर

बहुत दिनों बाद नजर आ रहे हो

अपनी मधुर तान आजकल

किसको सुना रहे हो

आखिरी बार

जब हमारी हुई थी मुलाकात

गोलू मोलू हो रहा था

तुम्हारा स्वास्थ 

लेकिन आज तुम 

दीनहीन से लग रहे हो

पहले सरकारी जैसे थे

आज वित्त विहीन से लग रहे हो

तुम्हारा चेहरा भी पिटा हुआ है

क्या तुम्हारे साथ कोई हादसा हुआ है


जब हमने बहुत उकसाया

उसने करुण स्वरों मेेें बताया

हमारी इस हालत की जिम्मेदार है

तुम्हारे खून की गिरती हुई क्वालिटी

और उस पर आश्रितों की

बढ़ती हुई क्वांटिटी

हमने कहा ,पहेली मत बुझाओ

क्वालिटी और क्वांटिटी वाली बात

जरा डिटेल मेेें समझाओ

मच्छर बोला

पहले क्वालिटी पर

कर लिया जाय विचार

एक जमाना था

तुम हमसे करते थे अत्यधिक प्यार

दिल से रखते थे हमारा ख्याल

पहनने को चाहें चिथड़े मिले

खून का रंग बनाए रखते थे लाल

लेकिन आजकल

आधुनिकता के नाम पर 

तुम अपने स्वास्थ्य से

कर रहे हो खिलवाड़

झूठी शान के चक्कर मेेें

हैसियत से ज्यादा महंगे

कपड़ो की कर रहे हो जुगाड

समाज मेेें अपनी

इज्जत बढ़ाने के लिए

अपने आप को दूसरो से

ऊंचा दिखाने के लिए

तुमको अंधाधुंध 

पैसा फूंकना पड़ता है

और इसका सारा असर

भोजन के खर्च पर पड़ता है

तुम अपने भोजन पर देते हो

कम से कम ध्यान

क्योंकि तुमने

मटर पनीर खाया या सूखी रोटी

किसी को नहीं होता इसका ज्ञान

लेकिन अगर

भड़कीले कपड़े ना पहनें जाएं

तो इज्जत घाट जाती है

नाक पहले से ही छोटी है

वो भी कट जाती है

आधुनिकता का नशा

दिन प्रतिदिन चढ़ रहा है

तुम्हारे खून मेेें लगातार

पानी का अंश बढ़ रहा है

ऐसे मिलावटी खून को पीकर

हम अब तक ज़िन्दा हैं

येे सोचकर शर्मिंदा हैं


इतना कहकर मच्छर ने

हमारे गालों पर टिकाई अपनी लात

फिर बोला ,

अब सुनो क्वांटिटी वाली बात

आजकल कुछ लोगों मेेें ही

खून का भंडार है

लेकिन उनके खून पर

पहले से ही किसी का अधिकार है

ग्राहकों का खून चूस कर

व्यापारी पैसा कमा रहे हैं

डॉक्टर मरीजों के खून का

लुत्फ उठा रहे हैैं

वकील अपने मुवक्किलों का

खून चख रहे हैैं

महाजन ,गरीब कर्जदारों का खून

अपनी तिजोरी मेेें रख रहे हैैं

और इन सब

खून पीने वालो का खून

नेताजी पी रहे हैैं

शाकाहारी मुखौटा

लगाकर जी रहे हैैं

इसके बाद

जो थोड़ा सा खून बचता है

वही झूठा खून,हमको मिलता है


अगर सच मेेें 

करना चाहते हो हमारी भलाई

एक छोटा सा

काम कर दो मेरे भाई

हमको किसी तरह से करा दो

पार्लियामेंट में प्रविष्ट

वहां एक से बढ़कर एक है

खून के स्टॉकिस्ट

गरीब का खून,अमीर का खून

पढ़े लिखों का खून, बेपढ़ो का खून

गोरों का खून, कालों का खून

हिन्दू का खून,मुस्लिम का खून

उनके पास हर तरह का माल मिलेगा

हमारा मुरझा चेहरा 

वहीं पहुंच कर खिलेगा ।


✍️  डाॅ पुनीत कुमार

T -2/505

आकाश रेजिडेंसी

मधुबनी पार्क के पीछे

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक सार्थक एवम् धारदार व्यंग्य,
    बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉक्टर साहेब को।

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  2. पुनीत जी नमस्ते
    मच्छर के माध्यम से राजनीति और गरीबी पर करारा व्यग है
    प्रो लता चौहान बेंगलोर mo
    9632175405

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