"" मारो ! इनको पता नहीं, कहाँ- कहाँ से से चले आते हैं परेशान करने----। मगर हजूर यह तो आप की प्रजा है रामू ने कहा।"
" वो क्या होती है रे-----?"
" हजूर वहीं जिसके बल पर आप राज कर रहे हैं---।"
एक कटु मुस्कान के साथ " हूँ ------राज कर रहे हैं। सुनो रामू , हम राज इनके बल पर नहीं, चाटुकारिता के बल पर कर रहे हैं, समझे।"
✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद
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