शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के अफजलगढ़ (जनपद बिजनौर)निवासी साहित्यकार डॉ अशोक रस्तोगी की रचना ----दिल में खिले हुए थे कुछ ,यादों के महके से गुलाब । मादक गंध ले साथ में , हम चले आये हैं कहाँ ??

शहरी  शोर  से मुंह  मोड़ ,सघन कोलाहल को छोड़ ।

चलते हुएअनजान राह में , हम  चले आये  हैं  कहाँ ??


शाखा शाखा की अकड़ , बिसरा हर फूल की चुभन ।

शीतल छाया की चाह में , हम  चले   आये  हैं  कहाँ ??


अनंत सिंधु के उस पार तक , वीराना    ही   वीराना ।

निर्मल संतृप्ति की आस में , हम चले आये  हैं कहाँ ??


दिल में खिले हुए थे कुछ ,यादों के महके से गुलाब ।

मादक  गंध  ले  साथ  में , हम  चले  आये  हैं कहाँ ??


दूर - दूर तक पसरे रेत पर , खामोशियों  के   निशां ।

एक सृजन की अभिलाष में ,हम चले आये हैं कहाँ ??

   

 ✍️ डा. अशोक रस्तोगी, अफजलगढ़ (बिजनौर)

1 टिप्पणी:

  1. मात्र भाषा के शब्दों को पिरो कर, उसमे अनेक रसः का समन्वय कर ऐसा सुन्दर चित्रण कोई
    विद्व।न ही कर सकता है।।

    साहित्य + विज्ञान = डा•अशोक

    मौसाजी को नमन����

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