बुधवार, 16 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार प्रवीण राही की लघुकथा - जायज प्रश्न


     बारह साल की रंजना बचपन से जिज्ञासु बच्ची रही है, उसके मां - पापा उसके सभी प्रश्नों  की झड़ी का जवाब प्यार से देते और  समझाते ,साथ ही उसकी  सराहना करते। यही वजह है कि वह अपने कक्षा कि सबसे होशियार बच्ची थी।सभी शिक्षक की लाडली...
रविवार का दिन था, रंजना नियमानुसार सुबह का अख़बार पढ़ रही थी,उसके मां और पापा  बगल में साथ बैठकर चाय पी रहे थे।
तभी रंजना ने  पूछा - '  पापा आप कहते हैं ,माता-  पिता से बड़ा कोई नहीं ...भगवान भी नहीं। पापा यहां अख़बार में लिखा है एक मां अपनी 8 साल की बच्ची को घर में बंद करके अपनी प्रेमी युवक के साथ भाग गई ।फिर हरेक मम्मी पापा अच्छे तो नहीं  ,है ना पापा ।'   कल मैंने पेपर में पढ़ा था की एक पिता ने अपनी बेटी को पैसे की कमी की वजह से किसी को बेच दिया ,पुलिस ने आखिरकार उसके पिता को पकड़ लिया  और जेल भेज दिया, आप कल ऑफिस गए थे इस वजह से  मैं आपसे पूछ नहीं पाई.....
थोड़े देर तक मैं रंजना के इस प्रश्न से डर गया और बुत सा बना रहा.... फिर बोला हां बेटी रंजना, सभी मां -बाप अच्छे नहीं होते, पर ज्यादातर अच्छे हैं बेटी। सामान्यता मां-बाप अच्छे ही होते हैं इसीलिए ये धारणा है मां बाप सबसे उच्च स्थान पर होते है,और मां-बाप अच्छे होने के लिए पहले अच्छा इंसान होना जरूरी है

✍️ प्रवीण राही
मुरादाबाद

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