रविन्द्र नाथ जी अपनी लड़की की शादी की बात करने के लिए सुरेन्द्र जी की दुकान पर पहुंचे।सुरेन्द्र जी किसी ग्राहक के साथ व्यस्त थे।तभी वहां एक दीन हीन सा दिखने वाला एक हट्टा कट्टा नौजवान आया औरगिड़गिड़ाने लगा "कल से भूखा हूं, कुछ पैसे दे दो।"
रविन्द्र जी को उस पर दया आ गई, और उन्होंने उसको पचास रुपए दे दिए।उसके जाने के बाद सुरेन्द्र जी ने रविन्द्र जी से कहा "आपने ये अच्छा नहीं किया।आप जैसे लोगों की वजह से ही इनकी मांगने की हिम्मत बढ़ती है। जब तक हम इनका बॉयकॉट नहीं करेंगे,भीख मांगने की प्रथा खत्म नही होगी। खैर,छोड़िए इन बातो को, अब कुछ काम की बात कर ली जाए।लड़की हमें पसंद है, हमें कुछ चाहिए भी नहीं,वैसे आप समाज में अपनी नाक रखने के लिए गाड़ी तो देंगे ही, हम बस इतना चाहते है कि आप कम से कम इनोवा जैसी गाड़ी दें।"
रवीन्द्र जी ने स्वीकृति मेेें सिर हिलाया और बोले "आप ठीक कहते हैं।भीख मांगने की आदत आसानी से नहीं जाती।"
फिर क्या था,सुरेन्द्र जी का मुंह देखने लायक था।
✍️डॉ पुनीत कुमार
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