"अरे साहब, गर्मी पड़ रही थी इसलिए थोड़ी देर के लिए....., खैर, आप बताइए कैसे आना हुआ?", बेफिक्र होकर सड़क पर टहल रहे चंदा लाल ने विनय बाबू से प्रश्न किया।
"बात यह है चंदा बाबू, तुम्हारी पेंशन बनने वाली है। उसका सारा काम दफ़्तर में मैं ही देख रहा हूँ। तुम चिंता मत करना, काम हो जायेगा। बस, पाँच हजार रुपए हमारे खर्चा पानी के अभी दे दो", विनय बाबू चंदा बाबू के कान में मक्कारी भरे स्वर में फुसफुसाये।
"नंगा" - चंदा लाल पाँच हज़ार रुपए विनय बाबू की जेब में चुपचाप सरकाकर बुदबुदाये और पुनः पहले की तरह बेफ़िक्र होकर सड़क पर टहलने लगे।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 244001
मो० 8941912642
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें