शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार सीमा वर्मा की कहानी ------ - "नास्तिक"


  "अरे ssss"   "भाभीजी , छोड़िए आप ।"    "आप लोगों का क्या ?"    "भई , आप ठहरे नास्तिक लोग ।"    "आपका धर्म और आस्था से क्या लेना - देना ।"
शर्मा जी ने वाणी में मिश्री तो घोली , पर विष तो विष ही होता है । चाहे मीठी जुबान से ही क्यों ना उगला गया हो ।  सुनंदा और अभिषेक अवाक से खड़े रहे , कुछ कह नहीं पाए । वैसे भी जो-जो साथ खड़े थे उनमें हमउम्र कम ही थे  ज्यादातर उनसे बड़े ही थे ।
             सुनंदा और अभिषेक की यह तीसरी पीढ़ी थी जो इस मौहल्ले में रह रही थी ।  अभिषेक के दादा जी इस जगह को लेकर बहुत भावुक थे ।  इसलिए उनके जाने के बाद भी अभिषेक और उसके पिता ने यह घर नहीं बेचा था और सभी अभी तक यहीं रह रहे थे ।
             मौहल्ला क्या था बस यूँ समझिए नन्हा भारत था ।  सभी जातियों और धर्मों के लोग थे वहाँ । पीढ़ियों का साथ था एक दूसरे से ।  अभिषेक के दादा जी सर्जन थे  और पिता भी । वह खुद भी शहर का एक जाना- माना डॉक्टर था  और उसकी पत्नी भी डाॅक्टर थी ।  पूरे शहर में यह मशहूर था कि जिस किसी को इलाज के लिए पैसों की तंगी हो वो बस इनके परिवार से संपर्क कर ले उसका मुफ्त इलाज हो जाता था । किसी को भी दर्द में देख नहीं सकता था यह परिवार ।  ऐसे में पूरे मौहल्ले का मुफ्त इलाज तो होना ही हुआ ।  वैसे भी अभिषेक के पूरे परिवार ने जैसे एक प्रण लिया हुआ था कि वे सभी अपने पेशे से समाज को जितना सेवा दान दे सकते हैं देंगे और वो दे भी रहे थे  ।
        बस पीढ़ियों से इस खानदान पर एक ही बट्टा (इल्ज़ाम) लगा हुआ था कि इन का परिवार किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा नहीं लेता था , जिसका कारण शायद इतना निजी था कि कभी किसी ने इस बात का खुलासा भी नहीं किया  ।
      पिछले कुछ हफ्तों में शहर में कुछ अलग तरह की हलचल थी ।  मौहल्लों में भी यही माहौल था  ।  हर कोई मंदिर निर्माण की बातों को बढ़ा-चढ़ा कर बतियाता दिखाई पड़ता था ।  कई जगहों पर चंदा आदि भी इकट्ठा किया जा रहा था ।  अभिषेक के मौहल्ले में भी चन्दा इकट्ठा करने कुछ लोग आज एक जगह एकत्रित थे ।  वहीं पर अचानक हास्पिटल से लौटते हुए सुनंदा और अभिषेक भी पहुंँच गए । उन्हें पूरी बात पता नहीं थी तो उत्सुकतावश  सुनंदा पूछ बैठी कि चंदा किस प्रक्रिया के लिए है ।
       बस प्रश्न के उत्तर ने उसे निरुत्तर कर दिया ।  और वो और अभिषेक एक दूसरे में अपने   "नास्तिक"  रूप को ढूंढने लगे  ।।

✍️ सीमा वर्मा
बुद्धि विहार
मुरादाबाद

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