बस कल ही की तो बात है, जगन ताऊ मेरे पापा के बचपन के घनिष्ठ मित्र लंदन से यहां मेरठ आए।आते ही शाम को पापा से मिलने घर पर आ गए।
मैं उनके चरण स्पर्श करने आया.... आशीर्वाद लेने के बाद ताऊ जी ने मेरे पढ़ाई लिखाई के बारे में बात की, फिर मुझसे मेरे भविष्य में किसके जैसा बनना है इसके बारे में पूछे.....
मैं बचपन से ही लिखने में ज्यादा रूचि रखता हूं... सो जाहिर सी बात है, अपने उपन्यासकार और कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद, जिनसे मैं सबसे ज्यादा प्रभावित रहा हूं.... उनके जैसा बनने की ही इक्षा जाहिर की।
ताऊ जी के जाने के बाद पापा मुझ पर झल्लाते हुए कहे, यह क्या बकवास है, गरीब की जिंदगी जीनी है क्या?....
पढ़ लिख कर पैसा कमाने पर ध्यान दो।
दो दिन बाद जब हम सब परिवार दिल्ली जा रहे थे। तो ट्रेन में किसी साहब को प्रेमचंद जी की किताब गोदान को पढ़ते हुए देखकर पापा ने कहा- साहब मैंने भी प्रेमचंद जी की बहुत सारी उपन्यास ,नाटक,किताबे पढ़ी है। कमाल की सटीक पकड़ और नजरिया था उनका, सामाजिक विसंगतियों पर आघात करने का... लगभग 80 साल बाद भी इनको पढ़ने के बाद ये आज भी सार्थक नजर आते है।
ये सुनकर मेरा निश्चय और भी पक्का हो गया था।।
✍️ प्रवीण राही
मुरादाबाद
बहुत प्रेरक लघु कथा
जवाब देंहटाएंबधाई प्रिय
यशश्वी बनो।