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बुधवार, 26 अगस्त 2020
मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष मदन मोहन व्यास की चार कुंडलियां--- पैसा जिसके पास में वह परमादरणीय। कोलतार सा कृष्ण भी, कहलाता कमनीय । कहलाता कमनीय, गधा भी घोड़ा होता। कुल कलंक को कंचन की गंगा में धोता......। ये ली गई हैं मुरादाबाद से लगभग 47 वर्ष पूर्व प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका "प्रभायन" के अक्टूबर 1973 के अंक से । इस पत्रिका के संपादक थे ललित भारद्वाज ।
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