शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार नजीब जहां की लघुकथा ------ कल्पना


कल्पना के माता-पिता नहीं है। गरीब अनाथ बच्चों की सेवा करके कल्पना के मन को शांति मिलती है एक बार कल्पना ट्रेन से गोवा जा रही थी। उस ट्रेन में कुछ अनाथ लड़कियों को गुंडे किडनैप करके बेचने के लिए ले जा रहे थे।
   कल्पना ने अपनी जान जोखिम में डालकर उन गरीब अनाथ लड़कियों को गुंडों से बचाया, फिर क्या था अगली सुबह सारे न्यूज़पेपर्स में कल्पना की फोटो और खबरें छपी थीं। चारों और कल्पना के नाम की
चर्चा हो रही थी।

✍️  नजीब जहां
प्रेम वंडरलैंड, मुरादाबाद
9837508724

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