भालू दादा नेता बनकर
जब जंगल को धाए
जंगल के सारे जीवों ने
तोरण द्वार सजाए।
उतर कार से भालू दादा
शीघ्र मंच पर आए
कहकर जिंदाबाद सभी ने
नारे खूब लगाए
इतना स्वागत पाकर दादा
मन ही मन मुस्काए।
भालू दादा---------------
सबकी तरफ देख नेताजी
इतना लगे बताने
रखो सब्र थोड़ा बदलूँगा
सारे नियम पुराने
साफ हवा भोजन पानी के
सपने खूब दिखाए।
भालू दादा----------------
जमकर खाई दूध मलाई
खाई मीठी रबड़ी
फल खाने को चुहिया रानी
आकर सब पर अकड़ी
चुहिया रानी को समझाने
सभी जानवर आए।
भालू दादा-----------------
निर्भय होकर सब जंगल में
इधर - उधर घूमेंगे
एक दूसरे के हाथों को
बढ़-चढ़ कर चूमेंगे
साफ - सफाई रखने के भी
अद्भुत मंत्र सुझाए।
भालू दादा----------------
जंगल के राजा को पर यह
बात समझ ना आई
मेरे जीतेजी भालू को
किसने जीत दिलाई
खैर चाहता है तो भालू
तुरत सामने आए।
भालू दादा-----------------
देख रंग में भंग सभी ने
सरपट दौड़ लगाई
सर्वश्रेष्ठ ही बचा रहेगा
बात समझ में आई
भालू दादा भारी मन से
इस्तीफा दे आए
भालू दादा-----------------
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
---------------------------
पांव जमीं पर पटक पटक
छुटकू चलता मटक मटक
दूध देखकर नाक चिढ़ाता
शरबत पीता गटक गटक
ब्रेड फेंक देता टुकड़े कर
मक्खन खाता सटक सटक
बाबा संग शैतानी करता
गोद में उल्टा लटक लटक
मम्मी को कहता मम्मा
नाम बताता अटक अटक
डॉ पुनीत कुमार
T-2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600
-------------------------------
कहाँ गया वह पेड़ नीम का कहाँ गयी यारों की टोली।
साथ खेलता था मैं जिनके कंचे टँगड़ी आँख मिचौली।
नहीं खिलौनों की ख्वाहिश थी नहीं जरूरत ताम झाम की।
बने खिलौने सदा हमारे टायर और बैरिंग की गोली।
बचपन में हम बादशाह थे अपने भी घोड़े होते थे,
गिर जाने पर पीठ से लेकिन कभी नहीं बच्चे रोते थे।
कितना लड़ते ओर झगड़ते फिर भी जुदा नहीं होते थे।
अब तो यारों की बोली भी लग जाती है जैसे गोली।
लौटा दो कोई हमें वो बचपन कुछ लकड़ी कुछ यार वो भोले।
हम फिर से बच्चे बन जाएं औऱ खेल टँगड़ी का खेलें।
ले लो ये सब चमक दमक और आभासी दुनिया की दौलत।
बस फिर वे दिन वापस ला दो जहाँ की दुनिया बहुत थी भोली।
ले लो सारे खेल खिलोने लौटा दो यारों की टोली।।
नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद
---------------------
कक्षा में व्यवधान है आता
पढ़ाना भी हो नही पाता
टीचर फ़ोन पर जो बताता
बच्चा उसे सुन नही पाता
कुछ भी समझ जब नही आता
तब छत पर भी जाया जाता
हर सम्भव प्रयास वह करता
नेट फिर भी ला नही पाता
जब तब डाटा उड़ उड़ जाता
टीचर फ़ोन में उलझ जाता
ऑनलाइन कक्षा का चलना
बस वही पर है रुक जाता
प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
------------------------------
अम्मा वो दिन कब आएंगे?
जब स्कूल को हम जाएंगे।
घर पर पढ़ना और बात है,
याद किया भी भूल जाएंगे।
अम्मा वो दिन कब ----- ऑनलाइन में वो बात कहां,
कक्षा सी सौगात कहां।
शिक्षक से जज़्बात कहां।
उछलकूद कैसे मचाएंगे?
अम्मा वो दिन कब--------
जब भी स्कूल खुल जाएंगे,
चाट पकौड़ी हम खाएंगे।
मित्रो संग बातें बनाएंगे।
पानी मे भी नाव चलाएंगे।
अम्मा वो दिन कब-------
अब तो खुल गये बाज़ार,
शाला भी खोलो सरकार।
गांव शहर होंगे गुलज़ार।
जब बच्चे शोर मचाएंगे।
सब वायरस भाग जाएंगे।
अम्मा वो दिन कब------
कमाल ज़ैदी ' वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926
----------------------------------
हूँ मैं झंडा, देख! तिरंगा ।
तीन रंग की मुझ में गंगा।
श्वेत रंग शांति का दाता।
केसरिया रंग प्यार सिखाता।
हरा रंग लाए हरियाली।
हरियाली में है खुशहाली।
नीला-चक्र बीच में सजता।
नित चलने को जो है कहता।
राष्ट्रीय-झंडा कहलाता हूँ।
सबसे ही आदर पाता हूँ।
दीपक गोस्वामी 'चिराग'
बहजोई उ. प्र.
-------------------------------
कसकर हाथों में था जकड़ा
चूहा भय से भरा हुआ था
ऐसा जानो मरा हुआ था
बिल्ली ने सोचा घर ले जाऊँ
बैठ मजे से इसको खाऊँ
पर घर पे थीं उसकी बहनें
आईं थीं कुछ दिन जो रहने
बिल्ली अब थोड़ा घबराई
कैसे बाँटे अपनी कमाई
घर आकर बोली सुनो बहना
आज हम सबको व्रत है रहना
ये देखो पंडित है आया
कहकर उसने चूहा दिखाया
अब चूहे की शामत आई
पर उसने एक जुगत लगाई
बोला अब सब हाथ को जोड़ो
ध्यान करो मोह - माया सब छोड़ो
जैसे ही बिल्लियाँ भक्ति में आईं
चूहे जी ने दौड़ लगाई ।।।
सीमा वर्मा
मुरादाबाद
---------------------------------------
आ ही गया सावन महीना
चलो दीदी गुड़िया बना लो
पंचमी भी अब आने वाली
भैया तुम भी डंडे सज़ा लो
चलो दीदी ................
ताल पोखरे गंदे पड़े हैं
पापा कुछ आप ही करा दो
चलो दीदी ................
और नहीं इतना ही कर दो
सफ़ाई की अर्ज़ी लगा दो
चलो दीदी ................
मम्मी प्रसाद ज़्यादा रखना
चने चाहे और मँगवा लो
चलो दीदी .................
झूला पीपल डाल पड़ेगा
रस्सा और पीढ़ा निकालो
चलो दीदी .................
हमें भी शिवालय ले जाना
कहना तुम भी दूध चढ़ा लो
चलो दीदी .................
कपड़े सबको हरे पहनने
चाहे तो धानी सिलवा लो
चलो दीदी .................
गुड़िया पिटने सभी चलेंगे
सारा इंतज़ाम तो करा लो
चलो दीदी ................
कंचन लता पाण्डेय “कंचन”
9412806816
---------------- ---------------------
फोन फोन तुम बंद हो जाओ,
कल तक तुमको चाहते थे,
अब तुम से घबराते है,
मैडम भी अब इसपर है,
यहाँ भी डाँट लगाती है।
आँखे भी तो दुखती है।
सर मे दर्द आ बैठा है।
भईया भी अब कहताहै,
पहले करले तू अब काम
फोन फोन तुम बन्द हो जाओ
अब बच्चों पर होगा अहसास।
डा,श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
---------------------------–-----
रिमझिम बारिश जब है आती।
तो मायशा रानी खिल है जाती।
फिर हर बारिश में वे है चाहती।
नहा नहा के खूब शोर मचाती।
वे हर बारिश में कपड़े भिगोती।
उसकी मम्मी तो चिल्ला जाती।
ना भीगो तुम, बारिश में कहती।
बस मम्मी उसकी ये ही चाहती।
नहीं वो कहना उनका मानती।
तो मम्मी उसकी चांटे लगाती।
देख के मायशा का ये बचपन।
मेरी भी यादें ताज़ा हो जाती।
मरग़ूब अमरोही
दानिशमन्दान, अमरोहा
मोब..9412587622
----------------------------
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
अच्छी-अच्छी बातें तुम्हें आओ बताए
क्रोध और नफरत से दूर सदा रहना
चाहे जो हो किन्तु मुंह से झूठ नहीं कहना
अपने बचपन को निर्मल बनाऐं
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
सुबह सवेरे जल्दी उठ कर रोज कसरत करना आंधियों से तूफानों से बिल्कुल भी ना डरना
कोई वाधा तुम्हें रोक ना पाए
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
कांटो में खिलने वाले फूलों को देखो
अंधियारे में जलने वाले दीपों को देखो
अपने जीवन को इन सा बनाऐं
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
अच्छे और बुरे पथ में भेद सदा करना
देश की रक्षा की खातिर सीखना है मरना
देशभक्ति के गीत सदा गाऐं
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
जात पात और भेदभाव से खुद को बचाओ
दीन दुखी निर्बल बच्चों को गले से लगाओ
सारे त्यौहार मिल के मनाएं
आओ बच्चों आओ तुम्हें खेल खिलाएं
अच्छी अच्छी बातें तुम्हें आओ बताएं
आए जो मुसीबत कभी न घबराएं
अशोक विद्रोही
8218825541
412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
-----------------------------------------
टॉमी मेरा बड़ा महान
पूरे घर का रखता ध्यान
जब हम घर से बाहर जाते
टॉमी जी को छोड़ के जाते
भौंक भौंक कर दौड़ लगाते
पक जाते हैं सबके कान
टॉमी**********
दूध मलाई इनको भाय
देख मिठाई जी ललचाय
खीर को टॉमी जी भर खाय
दूध को पीकर है बलवान
टॉमी*****
स्वामिभक्त है टॉमी प्यारा
प्यार है इसका सबसे न्यारा
हाल पूँछता हमसे सारा
सच में यह है मेरी शान
टॉमी******
डॉ प्रीति हुँकार, मुरादाबाद।
------------------------------------
काली घटा जब उमड़के आए
पंख खोलकर नाच दिखाए।
सिर पर अपने ताज सजाता
रंग-बिरंगे पंख नचाता।
पैर देख वो हुआ उदास
बोला कौआ आया पास।
मेरा भी तन काला है
इससे क्या होने वाला है।
मन को सुन्दर रखना प्यारे
खुशी के राज़ इसी में सारे।
आयुषी अग्रवाल (स०अ०)
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास
कुन्दरकी (मुरादाबाद)
---------------------------------
देखो पापा बहुत हो गया ,लाॅकडाउन लाॅकडाउन
बाहर जाकर ही मुझको अब,आईसक्रीम है खाना
तुनक -तुनक कर मम्मी बोली , ऐसा कैसे है होना
फैला है कोरोना इतना ,तुमको बाहर है जाना
बाहर की कोई चीज नही ,घर का ही है बस खाना
घर पर ही मैं जमा रही हूँ अब केसर मैंगो फ्लेवर
जितना चाहे उतना खाना ,सेफ रहो मौज उडाना
साफ -सफाई का रखें ख्याल ,रोग मुक्त रहे परिवार
ठीक है मम्मी मैं गुड ब्याय ,बातआपकी मानूंगा
आनलाइन पढ़ना मुझको अब मेरा फोन दिलाना
मनोरमा शर्मा
अमरोहा
---------------------------------
सराहनीय आयोजन
जवाब देंहटाएं