गुरुवार, 20 अगस्त 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की लघुकथा-----वहम


    नीचे वाले फ्लैट में रह रहे चौधरी साहब और उनके पुत्र-पुत्री प्रतिदिन शाम को बिल्डिंग के नीचे आकर टहलते या उनके बच्चे ऊपर छत पर घूमने जरूर आते थे ।
    आज फ्लैट के दो-तीन परिवार  छत पर आये और सभी ने राम जन्म भूमि पूजन के पावन अवसर पर दीपक जलाये । मगर आज चौधरी साहब का परिवार छत पर दीप प्रज्जवलित करने नहीं आया ।
   दीप प्रज्जवलित करके थोड़ी देर खुशियां मनाकर सभी लोग अपने-अपने घर चले गए ।
    छत पर केवल गुप्ता जी और गहलोत जी ही रह गये थे। गुप्ताजी ने गहलोत जी से पूंँछा - "दो-तीन दिन से चौधरी साहब या उनके बच्चे दिखाई नहीं दे रहे। कुशल तो है?"
  गहलोत जी ने गुप्ता जी को बताया - "हम लोग रक्षाबंधन के पर्व पर बाजार के कई चक्कर लगा आयें हैं । इसलिए लगता है कि वह सुरक्षा की दृष्टि से कोरोना के बचाव में अपने-आप को घर में सुरक्षित रखे हुए हैं ।"
    गुप्ता जी बोले - "ऐसे तो यह भी रोज अॉफिस जा रहे हैं और इनका पब्लिक डीलिंग का काम है । तब हमने तो ऐसा नहीं सोचा।"
     गहलोत जी ने कहा - "बहम का कोई इलाज है क्या?"
     
 ✍️ राम किशोर वर्मा
 रामपुर

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