रविवार, 30 अगस्त 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की कविता ----प्रधानता


हमारे इकलौते पुत्र ने
एक दिन हमसे कहा
पिताजी
मेरा मार्गदर्शन कीजिए
भारत कृषिप्रधान देश है
इस पर निबंध लिखवा दीजिए
मैंने विषय पर
गम्भीरता से चिन्तन किया
मुझे लगा
भारत के कृषिप्रधान होने का
जमाना गया
आजकल
आवास और पुनर्वास के नाम पर
गांवो का शहरीकरण किया जा रहा है
खेती योग्य उपजाऊ जमीन को
मकान बनाने के लिए
जबरदस्ती लिया जा रहा है
खाने में मांसाहारी चीज़ों का
प्रयोग बढ़ रहा है
भारत खाद्यान्नों का
आयात कर रहा है
जो इन तथ्यों से अनजान हैै
उसी की नजर में
आज का भारत कृषि प्रधान है
मैं इसी सोच मेेें डूबा था
मेरा पुत्र बोला पिताजी
आप निबंध लिखवाने में
जितनी देर लगायेंगे
मेरे सफल होने के चांस
उतने ही कम रह जायेंगे
क्योंकि ये निबंध
कल के प्रश्नपत्र में आ रहा है
मैंने चौक कर पूछा
तू ये किस आधार पर बता रहा है
पुत्र बोला,मास्टर साहब के
पक्के चमचे ने बताया है
और चमचा हर बात की
सही जानकारी रखता है
येे आपने ही समझाया है

चमचा शब्द ने
मुझे भीतर तक छुआ
मुझे महसूस हुआ
भारत चमचा प्रधान देश है
हर क्षेत्र में चमचो का बोलबाला है
तरह तरह के चमचे है
चमचों के भी चमचे हैं
सरकार चमचों के
बल पर चलती है
हर सफल मंत्री की छाया में
चमचों की पूरी जमात पलती है
चमचों के बिना आदमी
आगे नहीं बढ़ पाता है
बढ़ भी जाए तो टिक नहीं पाता है
सभी महत्वपूर्ण मामलों में
चमचों की भूमिका विशेष है
भारत चमचा प्रधान देश है
हमने अपने निर्णय को
अन्तिम रूप दे डाला
तभी आ पहुंचे हमारे मित्र चौटाला
 बोले,तुम गलत हो
भारत नेता प्रधान देश है
जो कुछ नहीं बन पाता
उसे नेता बनने का पूरा अधिकार है
और भारत में
ऐसी पब्लिक की कमी नहीं है
जो बेरोजगार है
गली हो मोहल्ला हो
दफ्तर हो बाजार हो
स्कूल हो कालेज हो
खिलाड़ियों का संसार हो
बनिया हो पण्डित हो
या हो फल बिक्रेता
सबका है कोई ना कोई नेता
अन्याय के खिलाफ बोलने का
अधिकतर लोगों में दम नहीं है
इसी कमजोरी को देखते हुए
भारत में नेता भी कम नहीं है

मित्र की बात ने
हमको उलझन में डाल दिया
हमारी धर्मपत्नी ने
हमको इस संकट से उबार लिया
अंदर से आवाज़ लगाई
छुट्टी का दिन है
इसे फिजूल मेेें मत गंवाओ
अपने दोस्तो को
चाय पिलाना चाहते हो तो
जल्दी से बाजार चले जाओ
चूड़ी के डिब्बे में रुपए रखे हैं
मिट्टी का तेल और चीनी ले आओ
दोस्तो पर आघात
हम कैसे करते वर्दाश्त
फौरन मान ली पत्नी की बात
बस स्टॉप पर भीड़ थी भारी
एक घण्टे बाद आई हमारी बारी
बस के अंदर भी बुरा हाल था
भेड़ बकरी की तरह भरी थी सवारी
जब हमारा दम घुटना शुरू हुआ
हमको महसूस हुआ
भारत भीड़ प्रधान देश है
बस में भीड़,रेल में भीड़
सड़क पर भीड़,बाजार में भीड़
कॉलेजों मेेें छात्रों की भीड़
धार्मिक स्थलों पर
भिखारियों की भीड़
कचहरी में मुकदमों की भीड़
अस्पतालों में मरीजों की भीड़
रोज़गार कार्यालयों में
बेरोजगारों की भीड़
मेलों मेेें जेबकतरों की भीड़
हर जगह भीड़ है
सरकार सड़को को
चौड़ा करवा रही है
नई बसें और ट्रेन चला रही है
लेकिन भीड़ बड़ी बेशर्म है
कम नहीं हो पा रही है
भारत वास्तव में भीड़ प्रधान देश है
जब तेल की दुकान पर भी
भारी भीड़ नजर आईं
हमने अपने चिन्तन पर
पुष्टि की मोहर लगाई

लौटते वक्त
समाज सुधारक जी से नज़रें टकराई
हमने पूछा
आजकल क्या कर रहे हो भाई
उन्होंने एक अख़बार दिखाया
एक नवयौवना के
जल कर मरने का समाचार पढ़ाया
फिर करुण स्वरो मेेें बोले
दहेज़ की समस्या बढ़ती जा रही है
रोज़ किसी ना किसी
दुल्हन की जान जा रही है
हमारे देश को
आजकल क्या हो गया है
समूचा देश समस्याओं की
भूल भुलैया मेेें खो गया है
कहीं हरिजनों पर
अत्याचार की समस्या है
कहीं अबलाओं पर
बलात्कार की समस्या है
कहीं विदेशियों की
समस्या चल रही है
कहीं अलग राष्ट्र बनाने की
बात उछल रही है
कहीं छात्रों मेेें असंतोष की समस्या है
कहीं आरक्षण के विरोध कि समस्या है
कहीं डाकुओं की समस्या है
कहीं बाढ़ की
कहीं बिजली की समस्या है
कहीं अकाल की
महंगाई ने समूचे देश की
कमर तोड़ डाली है
शिक्षा की समस्या
और अधिक खतरे वाली है
देश क्या है
समस्यायों का पुलिंदा है
इन समस्यायों को
निपटाना ही अपना धंधा है
भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति की
मीटिंग से आ रहा हूं
सफाई की समस्या पर
भाषण देने जा रहा हूं
इतना कहकर
समाज सुधारक जी चल पड़े
हम सोचते रहे खडे़ खडे़
समाज सुधारक जी की बातों से
अलग निष्कर्ष निकलता है
भारत समस्या प्रधान देश लगता है

विषय ने हमको ऐसा उलझाया
हमारे मन में विचार आया
पब्लिक का मत जानना चाहिए
बहुमत के आधार पर
कोई निष्कर्ष निकालना चाहिए
हमने एक सम्मेलन करवाया
हर धर्म, हर जाति, हर वर्ग के
प्रतिनिधियों को बुलवाया
एक साहब बोले
भारत चन्दा प्रधान देश है
मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा
सब चंदे से बनते है
अनाथ आश्रम चंदे से चलते है
रामलीला होनी है
चन्दा इकट्ठा कीजिए
होली जलनी है,चन्दा दीजिए
सड़क पर नल लगना है
चन्दा चाहिए
कहीं बंदर मर गया
चन्दा करके शमशान पहुंचाइए
समूचा लोकतंत्र चंदे पर टिका है
सरकारों का इतिहास
चंदे ने लिखा है
राजनीतिक पार्टियां उद्योगपतियों से
जबरन चन्दा वसूलती आई हैै
शायद यही कारण है
महंगाई नहीं मिटा पाई हैं।
विलायती राम हिंदुस्तानी का मत था
भारत मिलावट प्रधान देश है
अभिनय सिंह नौटंकीवाला ने
राम कृष्ण बुद्ध महावीर,जीसस
जयगुरुदेव साईबाबा आदि का
नाम गिनाया
भारत को भगवान प्रधान देश बताया
कुछ की नज़रों में
भारत चाय प्रधान देश था
कुछ के अनुसार
यह कवि प्रधान देश रहा
कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका
सम्मेलन के प्रतिनिधियों मेेें
अत्यधिक मतभेद रहा
इस पर किसी की प्रतिक्रिया थी
सम्मेलन से सबक लिया जाए
भारत को मतभेद प्रधान देश
घोषित किया जाए

एक लंबे अंतराल के बाद
समूचे विषय पर मैंने
नए सिरे से विचार किया है
मेरे छोटे से दिमाग ने
निष्कर्ष दिया है
सबकी बातें सही हैं
भारत में अनेक चीज़ों की प्रधानता है
यही तो भारत की महानता है
यहां हर चीज मिलती है
बस अच्छे चरित्र की कमी खलती है
काश कोई भारत भू पर
चरित्र के बीज बो जाता
हमारा भारत
चरित्र प्रधान देश भी हो जाता
मेरे देशवासियों
अन्य सब चीज़ों की प्रधानता
चरित्र की प्रधानता के आगे बेकार है
अच्छा चरित्र
हर राष्ट्रीय बीमारी का सही उपचार है
आओ हम सब मिलकर दुआ करें
आने वाली पीढ़ी के खून में
चरित्र के भी अंश हुआ करें

डाॅ पुनीत कुमार
T - 2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001
M - 9837189600

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