कवि तिवारी जी ने कवि त्यागी जी से कहा - भाई त्यागी जी इस नव रचनाकार 'बादल ' ने रचनाएं तो अच्छी लिखी हैं ,अपनी नई किताब 'ग्रहण' में।
पर किताब छपवाने से पहले उसने हम दोनों में से किसी से भूमिका नहीं लिखवाई है । मेरे सम्मान को ठेस पहुंचा है।
तिवारी जी ने शर्मा जी से कहा - आप बताएं क्या चाहते हैं।
शर्मा जी ने कहा - तिवारी जी जो आप बड़े समीक्षक हैं ,किताब आने दे फिर लिखने वाला इंसान है ,छापने वाला इंसान है और साहित्य तो महासागर है... कहीं ना कहीं थोड़ी या ज्यादा गड़बड़ी मिल ही जाएगी। इकबाल ,ग़ालिब, कबीर ,कुमार दुष्यंत.........आदि तक ने हल्की-फुल्की गलती कर दी है पर ये इतने बड़े नाम हैं कि इन सब बातों को उनकी रचना के भाव की गहराई को देखते हुए हैं नजरअंदाज कर दिया गया और गलतियों को दफ़न कर दिया गया। पर यह तो नव रचनाकार हैं, किस खेत की मूली है.... बस हल्की फुल्की भी गलती रह गई तो धज्जियां उड़ा देंगे ,अपनी समीक्षा में इस महानुभाव की.....
प्रवीण राही
मुरादाबाद
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