राहत मियां इबादत के लिये जाने को हुए तो उनके अंदर से आवाज आई कि -"नही, यह सही नही है। दफ्तर का टाइम हो गया है" ।
तभी दूसरी आवाज़ ने कहा-"अरे!तुम कोई गलत काम थोड़े ही कर रहे हो, इबादत ही के लिये तो जा रहे हो, थोड़ी ही देर की तो बात है इतनी देर में क्या हो जायेगा"।
राहत मियां पसोपेश(असमंजस ) में पड़ गये तभी पहले वाली आवाज ने फिर कहा-"इबादत बुराइयों से रोकती है। अगर तुम देर से दफ्तर जाओगे तो यह गलत बात होगी अल्लाह इससे खुश नही होगा तुम बाद में भी इबादत कर सकते हो"।
और ज़मीर की इस आवाज़ पर राहत मियां के क़दम बिना इबादत किये दफ्तर की ओर उठ गये।दफ्तर से आकर राहत मियां इबादत के लिये गये और वापस आये तो आज की इबादत में मिले सुकून और इत्मीनान की झलक उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी।
कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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