लेकिन एक महीने से रीना को वो तथाकथित बावली कहीं दिखाई नहीं दी। रीना की नजरें उसके बैठने के ठिकाने पे ही रहती थी।
तीन महीने हो गए तो भी वो दिखाई नहीं दी, रीना ने सोचा शायद अब उसका ठिकाना बदल गया हो।
कुछ समय बाद अचानक अखबार में एक खबर देख रीना अवाक रह गई। अखबार में छपा था कि भीख मांगने वाली एक मंदबुद्धि लड़की के साथ जानवरों से भी बदतर रूप से बलात्कार किया गया। जिस अस्पताल में उसे भर्ती किया गया वहां के किसी स्टाफ ने रात में सुनसान होने का फायदा उठा पुनः उसका बालात्कार कर उसका ऑक्सीजन पाइप हटा दिया जिस कारण उसकी मृत्यु हो गयी। साथ में छपी तथाकथित बावली की फोटो देख रीना की आँखों से आंसुओं की कुछ बूंदें लुढ़क पढ़ी।
रीना को उन मनुष्य रूपी हैवानों की नृशंसता पर क्रोध भी आ रहा था तथा उम्मीद भी थी कि उसके गुनहगारों को सजा जरूर मिलेगी।
लेकिन पन्द्रह दिन बाद फिर अखबार में खबर छपी कि गवाह न होने के कारण केस बन्द कर दिया गया।
रीना इस उम्मीद में रोज नियमानुसार अखबार खंगालती कि शायद कोई समाजसेवी संगठन या कोई कैंडिल मार्च बावली के दबे केस को फिर से उजागर करेगा लेकिन अब धीरे धीरे रीना की उम्मीद टूटने लगी।
अभी इस वाकये को कुछ समय ही बीता होगा कि एक दिन रीना अखबार में छपी एक खबर देखकर फिर अचंभित हो गई। उसमें लिखा था कि एक हाई प्रोफाइल ड्रग एडिक्ट लड़की के बालात्कारी को सजा दिलाने के लिए कई समाजसेवी संठगन आगे आए तो कई जगह कैंडिल मार्च निकाली गई।
इला सागर रस्तोगी
मुरादाबाद
शानदार
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