उठो बालको शीघ्र नहा लो,
कंघी करके काजल डालो,
आजादी का दिन आया है,
नाचो गाओ खुशी मना लो।
उजली-उजली ड्रेस पहनकर,
उसपर सुंदर रिबन लगा लो,
स्वयं तिरंगा झंडा लेकर,
गली -गली उसको फहरा लो।
खेल कूद के प्रतिभागी बन,
सबकोअद्भुत खेल खिला लो,
देश भक्ति के गीत सुनाकर,
दिल के दरवाजे खुलवा लो।
सोनू, मोनू, सीता, गीता,
वृक्षा रोपण को अपना लो,
घर आँगन को सुथरा करके,
जीवन को जीवन पहनालो।
आजादी का पर्व मनाने,
जन,गण,मनअधिनायक गा लो,
ऊंचे स्वर में स्वयं बोलकर,
सबसे जयकारा लगवा लो।
घर जाने से पहले सारे,
बच्चो एक कतार बना लो,
नुक्ती का दोना ले जाकर,
सबको बांटो खुदभी खालो।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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आज यहां पर नहीं है राजा
और न कोई रानी
सब बच्चों की बात करूं
ये नहीं है कोई कहानी
नई-नई हो गई ये दुनिया
अब न रही पुरानी
डिजिटल सब कुछ हुआ
यहां पर खेल हुए बेमानी
मोबाइल,टीवी, कंप्यूटर
की दुनिया दीवानी
सुबह से लेकर रात तलक
सब इन पर ही रहते हैं
दुनिया भर के काम सभी
बस इन पर ही करते हैं
कोरोना के रूप में जग
पर आई नयी तबाही
बंद हुए स्कूल इन्हीं पर
होने लगी पढ़ाई
खेल खेलते इन पर बच्चे
इन पर ही पढ़ते हैं
इनके कारण कुंठित होकर
बार-बार लड़ते हैं
हे मधुसूदन कृष्ण कन्हैया
अब जल्दी आ जाओ
आज कंस से कोरोना से
सबकी जान बचाओ
याद करो यह कहा तुम्हीं ने
फिर फिर मैं जन्मूंगा
जब जब पाप बढ़ेगा जग में
तब तब मैं आऊंगा
तांडव कोरोना का है अब
उसकी है मनमानी
कब तक प्राण कोरोना
लेगा चिंता ये अनजानी
खुशी खुशी खेलें बच्चे फिर
ऐसा चक्र चला दो
इस ब्याधि कोरोना से
प्रभु जग का फंद छुड़ा दो
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद
82 188 25 541
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माँ! मैं भी बन जाउँ कन्हैया,
मुरली मुझे दिला दे।
और मोर का पंख एक तू,मेरे शीष सजा दे।
ग्वाल-बाल के साथ ओ! मैया,
मैं भी मधुबन जाऊँ।
प्यारी मम्मी! मुझको छोटी गैया एक दिला दे।
यमुना तट पर मित्रों के सँग,
गेंद-तड़ी फिर खेलूँ।
मारूँ तक कर गेंद,ओ माता!
मुझे पड़े तो झेलूँ।
और कदंब के पेड़ों पर मैं,पल भर में चढ़ जाऊँ।
कूद डाल से यमुना में फिर,गोते खूब लगाऊँ।
ऊँची डाली पर बैठूँ मैं,मुरली मधुर बजाऊँ।
मुरली मधुर बजा कर मैया,गैया पास बुलाऊँ।
मैं फोड़ूँ माखन-मटकी भी,माखन खूब चुराऊँ।
मेरे पीछे भागें गोपी,उनको खूब भगाऊँ।
✍️दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन,कृष्णाकुंज
बहजोई(सम्भल) 244410 उ. प्र.
मो. 9548812618
ईमेल-deepakchirag.goswami@gmail.com
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चिंटू मिंटू थे दो भाई, कभी ना करते वो तो पढ़ाई।
खेलते रहते वो तो हरदम,उम्र उन्होंने यूं ही गंवाई।।
करते न होमवर्क पूरा, स्कूल से ये शिकायत आई।
लाख समझाया उनको, फिर भी अक्ल नहीं आई।।
पढ़ लिखकर क्या करना है,ये कह देते दोनों भाई।
थके हारे पापा के मन में,एकदिन तो सोच ये आई।।
ले गए एक दिन,फिर दोनों की काउंसलिंग कराई।
धीरे धीरे उन दोनों के, बस फिर ये समझ में आई।।
इसके बिन जीवन व्यर्थ, इसी में है सब की भलाई।
जीवन का गहना ये तो, मेहनत से करनी है पढ़ाई।
✍️ मरग़ूब अमरोही
दानिशमन्दान, अमरोहा
मोब-9412587622
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गुड्डू भाई करो पढ़ाई,
लोग करेंगे तभी बड़ाई।
कोरोना सी आफत आई,
रखना देखो खूब सफाई।
चुन्नू की न करो पिटाई,
तुम हो उसके अग्रज भाई।
फास्ट फूड से नाता तोड़ो,
दूध पियो औ'खाओ मलाई।
मास्टर जी ने बतलाया था,
बुरी बात है मार कुटाई।
मेहनत करके दौलत लाना,
उससे करना सबकी भलाई।
✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
प्रधानाचार्य, अम्बेडकर हाई स्कूल बरखेड़ा
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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सारे जग का प्राण है
सबसे महान है
इस विशाल भूमंडल में
ऐसा सुपावन कोई नहीं
सुंदर तो है देश कई पर
ऐसा मनभावन कोई नहीं
मेरी मातृ भूमि भारत
सारे जग की शान है
सबसे महान है
दीपक है गर अन्य देश
मेरा भारत दिनकर है
वो देश हो गया है रोशन
पड़ी रोशनी जिस पर है
मेरी कर्म भूमि भारत
सारे जग की आन है
सबसे महान है
डाॅ पुनीत कुमार
T -2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001
M - 9837189600
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नंदलाल कन्हाई आओ रे,
फिर माखन मिश्री खाओ रे |
अँखियाँ निशिदिन बरसत हैं,
क्या कृष्णकन्हाई साेवत हैं |
पल पल ये जीवन बीत रहा ,
इक क्षण सुख ना चैन रहा |
अब फिर से दरश दिखाओ रे,
नन्दलाल कन्हाई आओ रे |
अब गीता ज्ञान सुनाओ रे,
और कर्मयोग समझाओ रे |
चहुँ और अँधेरा छाया है ,
ये कपटी मन घबराया है |
लालच नफरत भरी पडी़,
जाने मिलन की कौन घडी़ |
अब नैय्या पार लगाओ रे,
नन्दलाल कन्हाई आओ रे |
जीवन की बेला बीत रही,
नटखट की मुरली मौन रही |
क्या माखन राेटी याद नही,
या सुनते अब फरियाद नही |
क्याेंकर मुखड़ा माेड़ लिया,
क्याें बीच भंवर में छाेड़ दिया |
अब फिर से माखन चुराओ रे,
नन्दलाल कन्हाई आओ रे |
✍🏻सीमा रानी
अमरोहा
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अब गोविन्दा आला।
ऊपर को देखो, हूँ लटकी।
सजी-धजी मैं माखन-मटकी।
राजा-जौनी-पापे-असलम,
दृष्टि सभी की मुझ पर अटकी।
कैसे कूदें सोच रहे हैं,
मोटे लल्लन लाला।
आओ बच्चो, खेलें मिलकर,
अब गोविन्दा आला।
बच्चे सारे बने कन्हैया।
करते जमकर ता-ता-थैया।
रज्जो-रज़िया यों मुस्कातीं,
जैसे हर्षित दोनों मैया।
माखन-मिश्री दूर भगाएं,
सारा गड़बड़झाला।
आओ बच्चो, खेलें मिलकर,
अब गोविन्दा आला।
जिन्हें समर्पित है यह ताली।
जिन पर दुनियां है मतवाली।
उन कान्हा की हर लीला में,
एक छिपी है बात निराली।
उन्हें चढ़ाएं भाव-पुष्प की
मनभावन यह माला।
आओ बच्चो, खेलें मिलकर,
अब गोविन्दा आला।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
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सभी गोपियाँ मुझे चिड़ायें,
काला कहके मैया जी ।
ताली मारें मुझे नचायें ,
नाचूँ ता -ता थैया जी ।
लाज न आवै नग्न नहाएँ,
करतीं छप्पक छैया जी ।
सबक सिखाऊं बस्त्र चुराऊं,
कहती बस्त्र चुरैया जी ।
तारी मारैं******
लाठी लेकर उन्हें ढूंढते ,
देखो इनके सैया जी ।
इधर उधर जब बस्त्र न पाए,
करती दैया दैया जी ।
तारी मारैं******
अब न नग्न नहाएँ सर में ,
क्षमा करो हमें भैया जी।
बाल रूप में तुम ही कान्हा ,
सबके लाज बचैया जी ।
तारी मारैं****
✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद
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अमिया जैसे डाल की
साड़ी भी ज्यों फॉल की
खुशियांँ हों बस हाल की
जय कन्हैया लाल की ।।
घोड़ी दौड़े नाल की
गठरी मिलती माल की
लल्ला झूले पालकी
जय कन्हैया लाल की ।।
बात बिगड़ जा जाल की
झुके कमर जब काल की
तिलक लगाते भाल की
जय कन्हैया लाल की ।।
ऊँचे भारत भाल की
बात गले जब दाल की
या हंँसी नौनिहाल की
जय कन्हैया लाल की ।।
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
मो० नं०- 8433108801
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