बडी उम्मीद के साथ शैफाली ने पति की मृत्यु के बाद परिवार वालो का विरोध सह कर एक बेटे की अच्छी परवरिश की उँचे स्कूल मे पढाया।आज वही बेटाउसके सेवानिवृत्त होने के बाद बार बार उससे उसकी सम्पति अपने नाम लिखने को कह रहाथा ।काफी सोच विचार के बाद आज उसने निश्चय कर लिया कि वह वसीयत करेगी।।बेटा खुश था कि वसीयत हो गयी।उसकी मृत्यु के बाद जब वसीयत पढी गयी तो बेटे को गश आ गया।शैफाली अपने निवास को छोडकर सारी सम्पत्ति वृद्ध महिला आश्रम के नाम कर गयी जहाँ वह अक्सर सेवा करने जाती थी।
डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
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