गुरुवार, 13 अगस्त 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मंगलेश लता यादव की कहानी ----- भिखारी



गाडी़ जैसे ही गंगा के किनारे रोकी कि अचानक पीछे से गिड़गिड़ाने की आवाज आई--  ऐ अम्मा कुछ तो देदो गंगा मैया तुम्हारी आस औलाद को सुखी रखे ।पलट कर देखा तो एक लम्बा सा नौजवान हाथ मे कटोरा लिए खड़ा था देखने मे उतना दीन नही लग रहा था, लेकिन चेहरा तो  मुरझाया हुआ था । मैने अपनी आदत के मुताबिक पर्स में हाथ डाला ही था कि हमेशा की तरह पतिदेव ने टोक दिया " तुम इनकी आदत नही जानती ये नकली भिखारी है हट्टा कट्टा आदमी है मत दो पैसे " ।  पर गंगा किनारे किसी को मांगने पर न दूं ये मेरी आस्था के खिलाफ था और पतिदेव की बात की अवहेलना भी नही कर सकती थी सो जल्दी से बोल दिया " चलो चाय पीना है और कुछ खाना हो तो खालो पैसे नही मिलेगें " इतना सुनना था कि वो भिखारी युवक एकदम खुश हो गया " हाँ ठीक  है अम्मा कुछ खिला दो" । हमने एक दुकान पर चाय और छोले भटूरे का ओर्डर दिया और दुकान वाले को बोला भैया एक चाय और छोले भटूरे इसको भी देदो ।  चाय वाले ने ठीक है साहब कहकर फटाफट हमारे लिए चाय और भटूरे लगा दिए इतने में ही और ग्राहक आ गए तो वह उनकाे चाय देने लगा मैने कहा भैया पहले इसे देदो ये भूखा है, मैने पास ही कुर्सी पर बैठे भिखारी युवक की तरफ इशारा करके कहा जो बड़ी तसल्ली से बैठा हमारी तरफ देख रहा था। " अरे बहनजी ये आराम से अपने तरीके से खायेगा आप तो पैमैंट कर दो" पतिदेव ने मुझे घूर कर देखा और कहा " वो चाय या भटूरे नही खायेगा पैसे खायेगा " मैने जल्दी से चाय वाले से पैसे पूछे कि पतिदेव और लम्बी बात न बढा दे उससे पहले हम यहाँ से निकल ले, मुझे उनकी बात अच्छी नही लग रही थी मन में सोच रही थी, क्या हो गया अगर भूखे को खाना खिला दिया तो । चाय वाले ने तीन चाय और भटूरे के एक सौ बीस रु मांगे मैने जल्दी से दे दिए और गाड़ी मे बैठ गई परन्तु ध्यान अभी भी भिखारी पर था जिसने अभी भी कुछ खाया नही था । पतिदेव अपने फोन मे व्यस्त थे मगर मै कनखियों से उस भिखारी और चायवाले को ही देख रही थी कि उसने हमसे चालीस रू लेकर अभी तक उसे क्यूँ नही खिलाया। इस बीच मै मैने चायवाले को देखा उसने धीरे जेब मे हाथ डाला और भिखारी को बीस रू पकडा दिऐ जबकि हमसे उसने चालीस रु लिए थे,मै जब तक कुछ समझ पाती वो भिखारी दूसरी गाड़ी की तरफ बढ़ गया " अम्मा कुछ खाने को देदो बहुत भूखा हूँ"।  मै आश्चर्य से कभी भिखारी को तो कभी चायवाले को देख रही थी कि भिखारियों की ये कैसी मिलीभगत है जो ईंसानियत की मजाक उड़ा रही है । मुझे आज पतिदेव की बात ही सही लगी और  कभी भिखारियों की मदद न करने का मन ही मन फैसला कर लिया ।

मंगलेश लता
जिला पंचायत मुरादाबाद
9412840699

1 टिप्पणी: