बुधवार, 5 अगस्त 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की लघुकथा ------- रंग


"अजी सुनते हो, हमारे गाँव से शन्नो दीदी आ रही हैं, आप उनसे कभी नहीं मिले हैं, बिल्कुल अकेली हैं। उनकी आँख का तारा उनका एक इकलौता छोटा भाई था, वह भी पिछले महीने चल बसा। सभी छोटों को अपना छोटा भाई ही समझती हैं......", सोनाली देवी खुशी से चहकती हुई अपने पति निरंजन बाबू से बोलीं।
"शन्नो दीदी..... छोटा भाई......", सुनते ही शन्नो दीदी से दो साल बड़े निरंजन बाबू खुशी से मन ही मन बुदबुदाते हुए, पूरी तरह सफ़ेद हो चुके अपने बालों को काला करने में जुट गए थे।

- राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद

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