नन्ही जया अपने घर के आंगन में खेल रही थी तभी बाहर से आती एक मधुर ध्वनि उसके कानों में पड़ी| ध्वनि सुनकर जया मचल उठी| गली में फेरीवाला 'आइसक्रीम वाला' कहकर आइसक्रीम बेच रहा था | बरामदे में उसकी दादी पुराने कपड़े सिल रही थीं| जया उनके पास गई और बड़े आतुर भाव से उनके कान में कुछ कहा|
" अपने बाप से जा कर ले" दादी ने कहा था|
जया मायूस हो गई बच्ची को उदास देखकर दादी उठी और खुंटी पर टंगे अपने पति के कुर्ते को ले आईं जो उन्हें सिलना भी था ,अचानक दादी ने जया को पुकारा और 10 का नोट दे दिया जो उन्हें कुर्ते से मिला था | जया खुशी से कूदती घर से बाहर चली गई और आइसक्रीम ले आई एक अपने लिए और एक अपने भाई के लिए |
थोड़ी देर बाद जया के दादाजी घर आए उन्होंने सिला कुरता देखा लेकिन जेब खाली देखकर व्यग्र हो उठे
" इसमें कुछ पैसे थे "उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा
"10 का नोट निकला था उससे बच्चों ने आइसक्रीम ले ली " जया की दादी ने जवाब दिया
"अब मैं बीड़ी किससे लाऊंगा मेरे पास एक पैसा भी नहीं है|"
" बच्चे जिद कर रहे थे मैंने पैसे दे दिए|"
"अच्छा किया ! मैं पूरे दिन खेतों में बैल की तरह कमाता हूं , एक दो बीड़ी पी लेता हूं तो क्या गुनाह है? "
"थूकते खांसते तो फिरते हो गली मोहल्ले में ,आज बच्चों ने कुछ खा लिया तो क्या गुनाह कर दिया ? बीड़ी पीने से क्या होता है ,कम से कम बच्चों ने कुछ पेट में तो खाया|"
बलधारी सिंह निरुत्तर थे और इससे पहले उन्होंने अपनी पत्नी को कभी इतना मुखर नहीं देखा वह उदास होकर खटिया पर जा बैठे|
पड़ोस के वकील चाचा उनके पास आए और उन्होंने दो बीड़ी जलाकर एक बलधारी सिंह को दे दी |बलधारी जी ने एक दम लगाया लेकिन आज उन्हें बीड़ी का स्वाद कसैला लगा| उन्होंने बीड़ी तोड़ कर फेंक दी , वकील चाचा आश्चर्य से देखते रह गए| बलधारी उठे और अपनी बैठक में चले गए | सामने की अलमारी में भगवान राम का चित्र लगा हुआ था और नीचे मानस का गुटका रखा था | बलधारी जी ने देखा गुटके पर धूल जमी हुई थी उन्होंने उस पवित्र पुस्तक को उठाया और अपने कुर्ते से साफ किया फिर उन्होंने गुटका यथा स्थान रख दिया और तस्वीर के सामने नतमस्तक हो गए| उनके अंतस से भी धूल हट चुकी थी गुटके की मानिन्द|
✍️ धर्मेंद्र सिंह राजौरा
बहजोई
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