मंगलवार, 8 सितंबर 2020

वाट्सएप पर संचालित समूह ''साहित्यिक मुरादाबाद" में प्रत्येक मंगलवार को बाल साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है । मंगलवार 18 अगस्त 2020 को आयोजित गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों डॉ ममता सिंह, अशोक विद्रोही, श्री कृष्ण शुक्ल, अटल मुरादाबादी, डॉ श्वेता पूठिया, दीपक गोस्वामी चिराग ,डॉ रीता सिंह, आयुषि अग्रवाल, स्वदेश सिंह, नजीब जहां, रवि प्रकाश, नृपेन्द्र शर्मा सागर ,कंचनलता पांडेय , कमाल जैदी वफ़ा, रामकिशोर वर्मा, वीरेंद्र सिंह बृजवासी, सीमा वर्मा , राजीव प्रखर जी कविताएं और विवेक आहूजा की कहानी-----


मेरा प्यारा मिट्ठू तोता,
मन से मिर्ची खाता है।
राम नाम का जाप उसे तो,
हर दिन देखो भाता है।

जब भी चाहूँ उसे पकड़ना,
झट से वह उड़ जाता है।
इधर उधर है छिपता फिरता,
हाथ नहीं वह आता है।।

देख डांस शो टीवी पर वह ,
ठुमके खूब लगाता है।
साथ साथ उन ठुमकों के ही,
गाना हमें सुनाता है।।

घर में हर बच्चे बूढ़े का,
लेकर नाम बुलाता है।
मुझको तो ऐसा लगता है,
गहरा उससे नाता है।।

 ✍️ डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद
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इन्द्र धनुष का रंग निराला
इसका रूप बड़ा मतवाला
वर्षा रुकी बदरिया छाई
जब सूरज ने झलक दिखाई
सूरज की विपरीत दिशा में
यह न दिखेगा कभी निशा में
अद्भुत दृश्य नजर एक आया
सात रंगो ने जिसे बनाया
जादू जैसा कोई चलाएं
कैसे इंद्रधनुष बन जाए ?
इंद्रदेव वर्षा करते हैं
इस जग की पीड़ा हरते हैं
मेघों से जल बूंदे झड़तीं
सूर्य किरण उन पर जब पड़तीं
सातों रंग उभर तब आते
मिलकर इंद्रधनुष बन जाते
दौड़ दौड़ बच्चों की टोली
इसे निहारे करे ठिठोली
बैंगनी, नीला फिर आसमानी
देखो अम्मा ! देखो नानी !
हरा,पीला,नारंगी ,लाल
सात रंगों ने किया कमाल
सब मिल अद्भुत छटा दिखाते
सब बच्चों के मन को भाते
बच्चों बात हमारी मानो !
इसमें छुपा रहस्य पहिचानो !
मिलजुल  कर जब रहते सारे
रंग निखरते कितने प्यारे
तुम सब भी मिल जुल कर रहना !
इंद्रधनुष सम जग से कहना !
अगणित जन जन भिन्न प्रकार
मिलकर बनता है संसार
अलग अलग हम भले अनेक
सब मिल कर बन जायें एक !
इससे कितना सुख पाओगे !
सबके प्यारे बन जाओगे !

✍️अशोक विद्रोही
 8218825541
412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
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आओ थोड़े वृक्ष लगायें
हरी भरी ये धरा बनायें।

ये धरती को बाँधे रखते।
भूजल का संरक्षण करते।
स्वयं धूप में तपते हैं पर
प्राणवायु ये हमको देते।
फर्ज हमारा भी है बच्चो,
हम भी मिलकर इन्हें बचायें।
आओ थोड़े वृक्ष  लगायें।

पत्थर खाकर फल देते हैं।
पथ पर ये छाया देते हैं।
गिर जाते हैं पर मिट कर भी,
खुद जल कर ईंधन देते हैं।
इनके उपकारों का सोचो,
कैसे हम सब मूल्य चुकायें।
आओ थोड़े वृक्ष लगायें।।

✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG 69,
रामगंगा विहार, मुरादाबाद
मोबाइल  9456641400
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अम्मा-अम्मा चाँद दिला दो।
मुझको चंदा से मिलवा दो।।
मैं अब  रोटी नहीं खाउँगा-
मैं अब स्कूल नहीं जाऊँगा।
          पूरी   मेरी   मांग  करा   दो।
          अम्मा-अम्मा चाँद दिला दो।।

भैया बहुत चिढ़ाते हैं अब।
मुझको बहुत रुलाते हैं सब।
गुड़िया गुड्डे हुए बिछोने ,
टूटे सारे खेल -खिलौने।
              अब तो कोई नया दिला दो।
             अम्मा-अम्मा चाँद दिला दो।।

अम्मा मैं मेला जाऊंगा  ,
मैं तो चाऊमीन खाउँगा ।
पूरी कर दो मेरी यह विश,
दिलवा दो जीभचटोरी डिश।
           मुझको तुम अब ही मॅगवा दो।
             अम्मा-अम्मा चाँद दिला दो।।

वरना मेरी कुट्टी तुमसे ,
बोलूंगा अब  ना ही तुमसे।
प्यार दिखाओ चाहे जितना ,
लाड़ लड़ाओ चाहे कितना।

            चाहे पूड़ी -खीर खिला दो।
             अम्मा-अम्मा चाँद दिला दो।।
                   
 ✍️ अटल मुरादाबादी
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माँ मेरी है सबसे प्यारी
इसकी हर बात निराली
हमको सारी रोटी देकर
खुद पानी पी सो जाती।
जब हम माँगे नर्म सा बिस्तर,
अपनी गोद मे हमे  सुलाती,
लोरी गाकर मन हर्षाती।
अपने सारे दर्द छुपाकर
हमारे संग मुस्काती
दर्द हमारे, आँसू उसके,
सच कहती हूँ
माँ मेरी है सबसे प्यारी।।

✍️ डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
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मैं हूं राष्ट्रीय पक्षी मोर।
पीउँ-पीउँ का करता शोर।
जब भी हो वर्षा घनघोर।
नाचूँ-झूमूँ मैं चहुँ ओर।
 देख पंख मेरे अति सुंदर,
 भाल सजाए *माखनचोर*।

सांँप देख सब ही डर जाते।
 उसको झट हम चट कर जाते।
 'मंगल भवन अमंगलहारी'।
 शिव का बेटा करे सवारी।
कौन है उसका नाम बताओ।
फिर भाई ज्ञानी कहलाओ।

✍️ दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन,कृष्णा कुंज
बहजोई (सम्भल) पिन-244410
मो. 9548812618
ईमेल-deepakchirag.goswami@gmail.com*
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आलू राजा सदाबहार
खाने में यह सबका प्यार ।

चाँट पकौड़ी अरु कचौड़ी
ये सब इसके ही उपहार ।

टिक्की हो या फिर समोसा
आलू इनका पक्का यार ।

हर सब्जी का साथ निभाये
ऐसा इसका है व्यवहार ।

लगा रोग मंहगाई जब
लगता सूना है बाजार ।

✍️ डॉ रीता सिंह
मुरादाबाद
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एक दिन चूहा बन गया शेर,
करने निकला जंगल की सैर।

धमा-चौकड़ी खूब मचाता,
रौब से था सबको धमकाता।

सारे जानवर मिलकर संग,
देख रहे सब उसे हो दंग।

छुपी बैठी थी बिल्ली रानी,
चुप देखे उसकी मनमानी।

जब बिल्ली को गुस्सा आया,
गुस्से से माथा ठनकाया।

बिल्ली ने फिर डाँट लगाई,
ची-ची कर भागे चूहे भाई।

✍️ आयुषी अग्रवाल
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास
कुन्दरकी (मुरादाबाद)
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आओ बच्चों पेड़ लगायें
धरा को हरा-भरा बनायें

           जीवन का है यह आधार
             धरती का करते सिंगार

मोनू यह लो पेड़ नीम का
करता यह काम हकीम का

            दीपा तुम लगाओं पीपल
           देता ये ऑक्सीजन हर पल

लगाओं तुम सब क्यारी- क्यारी
देना खाद,पानी सब बारी-बारी

          करना सब इनकी रखवाली
        पेड़ जीवन में लाते खुशहाली

✍️ स्वदेश सिंह
 सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद
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पेड़ों ने हमको जीवन दिया
सब कुछ अपना अर्पण किया।
फल दिए लकड़ी और दी छाया
फिर क्यों इंसान समझे पराया।
काटो नहीं वृक्ष नए-नए लगाओ
जीवन को स्वस्थ, स्वच्छ बनाओ।
एक वृक्ष सदियों  साथ निभाता
इंसान यह क्यों समझ नहीं पाता।
दुनिया के इंसान को बात समझनी है
प्रकृति भी हमारी जीवन जननी है।

✍️ नजीब जहां
प्रेम वंडरलैंड, मुरादाबाद
9837508724
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गुड़िया  को  ले मेला जाते
चक्की  चूल्हा  बेलन लाते
चकले पर थी रोटी बिलती
दो-दो रोटी सबको मिलती
मिट्टी  की  थी  सभी रसोई
टूटी  तो  फिर  गुड़िया रोई
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अब  हैं  खेल- खिलौने न्यारे
प्लास्टिक के दिखते हैं प्यारे
अब  है  गैस - सिलेंडर भारी
बिजली  की  चीजें   हैं सारी
मिक्सी   से   सिलबट्टा  हारा
गया    पुराना    युग   बेचारा

✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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क्या है ये गड़बड़ घोटाला
चूहे🐀 ने हाथी🐘 धो डाला।
मोटा ताज़ा एक परिंदा 🦅
 मच्छर सिंह🦟 का बना निबाला।।
शेर सिंह 🦁 ने पूँछ दबाई
 जब लोमड़ 🦊को आते देखा।
देख मगर 🐊को पेड़ पर चढ़ते।
बन्दर जी🐒 ने जिगर उछाला।
क्या है ये गड़बड़ घोटाला,
जँगल में दंगल कर डाला।
चिंटू चूहे 🐁 से सब डरकर,
ओढ़ रहे अज्ञात दुशाला।।

✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा,मुरादाबाद
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पेड़ आपनें लगाये बहुत हैं
कुछ हमें भी सिखाओ ना मैडम
कैसे मिट्टी बनाते हैं पहले
फिर पौधे लगाये कैसे मैडम
कौन सी पौध रोपें किस मौसम
विस्तार पूर्वक बताओ न मैडम
कितना खाद व कब कितना पानी
हम सबको समझा देना मैडम

✍️ कंचन लता पाण्डेय
आगरा
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अम्मा मुझको अच्छा लगता तेरे हाथ का खाना,
पापा से कह दूंगा अब बाजार से कुछ न लाना।

आलू साग की सब्जी भी तू बढ़िया बहुत बनाती,
अपने हाथ से देके निवाला स्वाद को और बढ़ाती।

आलू भरे परांठे तेरे सबको खूब है भांते,
बड़े चाव से सब घर वाले बैठ के संग में खाते।

तेरे हाथ की खीर के घर मे सब ही है दीवाने,
तेरे जैसे बना न पाये कोई भी घर मे खाने।

मैगी पिज्जा बर्गर  वर्गर अब न कुछ खाऊंगा,
तेरे प्यारे हाथों का यह स्वाद कहा पाऊंगा।

✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
प्रधानाचार्य,
अम्बेडकर हाई स्कूल बरखेड़ा
सिरसी (सम्भल)9456031926
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घर की एक न मानें बच्चे
जितनी अध्यापक की ।
बहुत गुणी उनके सम्मुख हैं
उनके अध्यापक जी ।
अध्यापक ने जब पेड़ लगाया
बच्चों को वह बहुत ही भाया।
सब बच्चे पेड़ एक लाये
विद्यालय प्रांगण रोपाये ।
किसी ने गड्ढ़ा खोद दिया
तो खाद किसी ने डाल दिया ।
पेड़ लगाकर तरह-तरह के
पर्यावरण संदेश दिया ।
घर पर अब कहते हैं बच्चे
पौधे अवश्य लगाने हैं ।
शुद्ध हवा भी मिलेगी इनसे
सुमन बहुत मन भाने हैं ।
     
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
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क्यों तोते को  कैद किया  है?
बोलो तनिक  बुआ  जी तुम,
क्योंइसको ये सजा मिली है?
बोलो तनिक बुआ जी  तुम।
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तार पकड़ कर  ऊपर  नींचे,
गिरता   चढ़ता    रहता    है,
कब इससे  बाहर  निकलूंगा,
यही    सोचता    रहता    है,
कब  इसको आज़ाद करोगी,
बोलो तनिक बुआ  जी  तुम।

बिखर  गया  है  रोटी  दाना,
पानी     नहीं    कटोरी    में,
हरी मिर्च भी सूख  चुकी  है,
भूखा    है     मजबूरी     में,
किसने  पूछा  भूख लगी  है,
बोलो तनिक  बुआ जी तुम।

उड़ते  सब तोतों  से कहता,
मैं   हूँ   बेबस     बंद   पड़ा,
तुम ही आकर के बतलाओ,
कैसे    काटूं     फंद    बड़ा,
बुरा नहीं लगता क्या तुमको?
बोलो तनिक  बुआ जी तुम।

आज़ादी   सबको  भाती  है,
तुमको   भी    भाती    होगी,
क्या तोते  को  ही आजीवन,
सजा    रास   आती    होगी,
कब  इसपर उपकार करोगी,
बोलो तनिक  बुआ जी  तुम।

बढ़  करके  दरवाजा   खोलो,
पिंजड़े    से    आजाद   करो,
खुशी - खुशी अम्बर में उड़ने,
जीवन   को    आबाद    करो,
फिर कब  अत्याचार  करोगी,
बोलो तनिक  बुआ  जी  तुम।

✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0-9719275453
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       छोटा सा आलू बड़े काम का
               मोटा सा आलू बड़े काम का
     छोटा सा आलू बड़े काम का
               मोटा सा आलू बड़े काम का 
   
     गोभी मटर के साथ
                  इतना बड़ा रिश्ता है   
     गाजर और पालक के साथ भी
                            यह दिखता है
      छोटा सा आलू बड़े काम का
               मोटा सा आलू बड़े काम का
   
     मुन्नी जब रूठे तो
                         आलू खाती है
             मुन्ना जिद कर बैठे जब
                            आलू भाता है
     छोटा सा आलू बड़े काम का
                मोटा सा आलू बड़े काम का     
 
      भिंडी टमाटर भी भी
                              इसके यार हैं
      हर एक की सब्जी को
                              इससे प्यार है
      छोटा सा आलू बड़े काम का
                मोटा सा आलू बड़े काम का

      आलू का हलवा
                      आलू की चाट
      सब्जियों का राजा है
                      इसके बड़े ठाट
      छोटा सा आलू बड़े काम का
                मोटा सा आलू बड़े काम का ।।
✍️  सीमा वर्मा
मुरादाबाद
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        जंगल के राजा शेर ने आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी जीव जंतुओं की जंगल में एक सभा का आयोजन किया।  जंतुओं को संबोधित करते हुए सभा में पधारने का धन्यवाद दिया व सभी से अपनी अपनी समस्याएं रखने का प्रस्ताव रखा। सर्वप्रथम गधा कुमार जी ने खड़े होकर अपनी समस्या रखने के लिए महाराज से गुजारिश की जो कि तुरंत स्वीकार कर ली गई ।तत्पश्चात गधे कुमार जी ने कहना शुरू किया "महाराज मुझे अपने जीव जंतु समुदाय से कोई शिकायत नहीं है परंतु मानव जाति ने मेरा जीना मुश्किल करा हुआ है" आगे बताते हुए गधा कुमार जी बोले "मानव दिन रात मुझे सामान ढोने पर लगाए रहता है और एक पल भी मुझे आराम करने नहीं देता" गधे ने रूआंसु होकर कहा सरकार इतनी मेहनत करने के बाद भी मानव समाज में मेरी कोई इज्जत नहीं है।गधे  की बात समाप्त होते ही तोता श्री फुदक कर सभा के मध्य आ गए और तीखी आवाज में बोले "महाराज मानव ने हमें तो बिल्कुल गुलाम ही बना रखा है और हमारा जीवन सालों साल पिंजरे में कैद होकर रह जाता और पिंजरे में ही हम लोग मर जाते हैं, महाराज हमें पिंजरे की गुलामी से आजादी दिलाई जाए"  तोता श्री बोले    मानव तो अब उनका भक्षण भी कर रहे हैं ।  भक्षण की बात सुन मुर्गा और बकरे ने शोर मचा दिया जोर से सभा में दहाड़े मार-मार कर रोने लगे शेर महाराज ने उन्हें बमुश्किल चुप कराया और उनसे रोने का कारण पूछा तो वह रोते हुए बोले "महाराज मानव से हमारी रक्षा करें इन लोगों ने तो हमारा जीवन दूभर कर दिया है इनकी कोई दावत होती है वह हमारी जान लेकर ही जाती है" और तो और हम लोग तो अपनी पूरी जिंदगी भी नहीं कर पाते इससे पहले ही मानव हमारा भक्षण कर लेता है सब की समस्याएं सुन महाराज शेर ने लंबी सांस लेते हुए कहा आप सब की समस्याएं काफी गंभीर हैं  और इन सब के निस्तारण की भी अति आवश्यकता है। सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं ने एक सुर में महाराज से कहा "अब बात समझाने से आगे निकल चुकी है" अतः अब मानव को सबक सिखाने का वक्त आ गया और सभी जीव जंतु समुदाय ने सर्वसम्मति से मानव जाति के विरुद्ध जंग का प्रस्ताव पास कर दिया। महाराज ने सभी को समझाया की जंग से कोई फायदा नहीं आपस में ही बैठ कर सुलाह कर लेते हैं। परंतु कोई भी जीव मानने को तैयार नहीं हुआ । सभी ने महाराज से आग्रह किया कि मानव को एक बार सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है । महाराज जी ने कहा मैंने मानव को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई है। और इस योजना में "कोरोना विषाणु" बेटा हमारी मदद करेगा सभी जीव जंतुओं ने महाराज से पूछा यह कैसे संभव है ।कोरोना तो बहुत छोटा है और नंगी आंखों से हम इसे देख भी नहीं सकते फिर यह हमारी मदद किस प्रकार कर सकेगा ।महाराज ने कहा कोरोना ही हमारी मदद कर सकता है और मानव को अच्छी तरह सबक सिखा सकता है ।उन्होंने करोना  को बुलाया और उसे आदेश दिया कि पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में किसी खाद पदार्थ में मिलकर अपना दुष्प्रभाव दिखाना शुरू करो वह एक से दूसरे दूसरे से तीसरे फिर हजारों लाखों करोड़ों लोगों में अपना दुष्प्रभाव पृथ्वी के सभी देशों में फैला दो। महाराज से आज्ञा लेकर कोरोना विषाणु ने पूर्व से पश्चिम तक पूरी पृथ्वी पर अपना दुष्प्रभाव चलाना शुरु कर दिया। लाखों की संख्या में मानव मरने लगे। सभी जीव जंतुओं को मानव द्वारा अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला मिल गया था और सब एकत्र होकर महाराज के पास आए व बोले "महाराज मानव जाति को अब काफी सबक मिल चुका है ,अब आप कोरोना को वापसी का आदेश दें" महाराज शेर ने तुरंत कोरोना को बुलवाया और उससे मानव जाति पर उसके प्रभाव की रिपोर्ट मांगी। कोरोना विषाणु ने सीना चौड़ा कर महाराज से कहा कि "मै आपको अभी अपने प्रभाव की छमाही रिपोर्ट देता हूं" यह कहकर करोना ने बताना शुरू किया "मानव मेरे प्रभाव से मुंह पर कपड़ा बांधकर घूमता है ,  इसके अलावा सबसे मजेदार बात यह है कि मानव एक दूसरे से दूर दूर होकर बैठता है " यह कहकर कोरोना ने एक जबरदस्त ठहाका लगाया सभी जीव जंतु छमाही रिपोर्ट सुनकर अति प्रसन्न हुए ,तत्पश्चात सभी जीव जंतुओं ने महाराज से कहा अब बहुत हुआ मानव को सबक मिल चुका है आप कोरोना से कहे कि वह अपने प्रभाव को खत्म करें और शांत हो जाए । महाराज ने कोरोना को तुरंत आदेश दिया कि वह अपना बोरिया बिस्तर समेट कर पूरे विश्व से रवाना हो जाए । किंतु करोना तो घमंड में चूर हो चुका था उसने महाराज का आदेश  मानने से साफ इंकार कर दिया । यह सुन सभी जीव जंतु बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने कोरोना को सभा से धक्के मार कर अपनी जमात से बाहर कर दिया। कोरोना की इस हरकत पर सभी जीव जंतु बहुत दुखी थे ।महाराज ने कहा  "पृथ्वी पर भारतवर्ष के पीएम बहुत अच्छे व्यक्ति हैं मैं उन्हें अपने पत्रवाहक कबूतर को भेजकर खबर करता हूं" कि कैसे जीव-जंतुओं की नासमझी के कारण यह समस्या खड़ी हो गई है व करोना बागी हो गया है।  उन्होंने कबूतर जी को पत्र देकर रवाना किया ।
तत्पश्चात भारतवर्ष के पीएम नेअपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों की पूरी टीम को करोना पर कार्यवाही के लिए लगा दिया और जल्द ही पूरा विश्व कोरोना के प्रभाव से मुक्त हो गया। इस प्रकार सभी जीव जंतुओं ने महाराज शेर के सम्मुख अपनी गलती स्वीकारी , अब उन्हे अच्छे से समझ आ चुका था कि दुनिया को प्यार से ही जीता जा सकता है ना कि बदले से, और सभी ने महाराज शेर के समक्ष प्रण किया कि अब वह मानव जाति के साथ प्रेम से ही जीवन व्यतीत करेंगे ।

 ✍️ विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com

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