रविवार, 6 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश द्वारा रचित "रामपुर शतक" । इसमें उन्होंने रामपुर रियासत के अंतिम शासक नवाब रजा अली खाँ की भूमिका का काव्य में ऐतिहासिक मूल्यांकन किया है ।


                        (1)
सुनो अनूठी रजा अली खाँ की सुंदर यह गाथा
हुआ  रामपुर  का  इस गाथा से ही ऊँचा माथा
                        (2)
यह शासक थे ,नहीं सांप्रदायिकता जिनमें पाई
यह शासक थे ,नहीं क्षुद्रता जिनमें किंचित आई
                            (3)
सन  सैंतालिस  में  शासक  थे ,यह  दरबार लगाते
उसी समय युग पलट रहा था ,निर्णायक क्षण आते
                             (4)
यह भारत का सुखद भाग्य था रजा अली को पाया
इनके  हाथों  में  सत्ता  थी , यह  वरदान कहाया
                           (5)
अगर न होते रजा अली खाँ ,दूरदृष्टि कब आती
भारत की तब नौका फँस - फँस भँवर बीच में जाती
                           (6)
यह  उदार  थे  सर्वधर्म समभावी इनको पाया
लेश - मात्र भी कट्टरता का अंश न इनमें आया
                       (7)
यदि   होते  धर्मांध , विचारों  में  कट्टरता  पाते
पता नहीं फिर रक्त न जाने कितनों के बह जाते
                       (8)
वह था समय ,हिंद में लगता पाकिस्तानी नारा
मुट्ठी - भर  थे लोग , कह रहे पाकिस्तान हमारा
                           (9)
पाकिस्तान  बना  था ,उन्मादी प्रवृत्ति छाई थी
रजा  अली  ने नहीं मानसिकता ओछी पाई थी
                            (10)
यह शासक थे जिनमें हिंदू-मुस्लिम भेद न पाया
जिनके लिए एक ही मुस्लिम - हिंदू भले रिआया
                          (11)
सबसे ज्यादा कठिन दौर संक्रमण - काल कहलाता
इतिहासों  में  यही  दौर  है जो इतिहास बनाता
                          (12)
जैसे   होते   हैं  नवाब  वैसी  ही  रचना  करते
जैसी   होती   है   पसंद , रंगों  को  वैसे  भरते
                          (13)
इनके निर्णय युगों - युगों तक का आधार बनाते
छाप  निर्णयों  की इनकी  हम दूर - दूर तक पाते
                            (14)
यह  सरदार  पटेल  राष्ट्र - नवरचना के निर्माता
यह  सरदार  पटेल राष्ट्र में एक्य - भाव के ज्ञाता
                          (15)
यह सरदार पटेल रियासत विलय कराने वाले
यह सरदार पटेल  देश  की  नौका के रखवाले
                            (16)
यह सरदार पटेल  राष्ट्र  का एकीकरण सँभाले
यह सरदार पटेल  एक  भारत का सपना पाले
                             (17)
यह थे रजा अली खाँ जिनके सपने अलग न पाए
यह थे रजा अली खाँ क्षण में भारत के सँग आए
                             (18)
यह थे रजा अली खाँ भारत पर विश्वास जताया
यह थे रजा अली खाँ निर्णय देशभक्त कहलाया
                             (19)
यह थे रजा अली खाँ जिनकी रही पाक से दूरी
यह थे रजा अली खाँ  निष्ठा  रही  हिंद से पूरी
                           (20)
आओ  जरा और कुछ देखें इतिहासों में झाँकें
अच्छाई  क्या  और  बुराई  राजाओं  में  आँकें
                               (21)
वह युग था जब लोकतंत्र की कहीं न दिखती छाया
राजाओं की और नवाबों की दिखती बस माया
                            (22)
सुनो  रामपुर  एक  रियासत  यहाँ नवाबी पाई
यहाँ रहा मुस्लिम का शासन मुसलमान कहलाई
                                   (23)
किंतु यहाँ पर हिंदू भी थे मिलजुल कर जो रहते
मुसलमान  छोटा  भाई  हिंदू को अपना कहते
                          (24)
इतिहासों  में  शासकगण  केवल तलवारें पाते
तलवारों की टकराहट का यह इतिहास बनाते
                             (25)
युद्ध  किसी  ने  जीता ,अपनों ने ही कोई मारा
कोई  राग - रंग  में  डूबा  ऐसा ,सब  कुछ  हारा
                         (26)                     
यहाँ  नवाबी  शासक  ऐसे  भी ,जनता थर्राती
यहाँ बगावत क्या ,कोई आवाज न बाहर आती
                            (27)
यहाँ दौर था जब जंगल का शासन सब कहलाता
यहाँ न घर से बाहर कोई निकल शाम को पाता
                            (28)
यहाँ  छात्र  इंटर  करने  तक  चंदौसी  थे जाते
खेद ! नवाबों  से  इतने  भी काम नहीं हो पाते
                            (29)
कहाँ  शहर  चंदौसी छोटा ,सीमित साधन पाए
किंतु  कारनामे  नवाब  धनिकों से बढ़ दिखलाए
                           (30)
अंतिम शासक रजा अली खाँ मगर अलग कहलाते
दाग  नहीं  इनके दामन पर किंचित भी हैं पाते
                         (31)
यह उदार शासक सहिष्णुता सबसे ज्यादा पाई
भेद - नीति हिंदू - मुस्लिम में नहीं कहीं दिखलाई
                          (32)
इनके  कार्य महान ,याद यह सदा किए जाएँगे
इन्हें   धर्मनिरपेक्ष   शासकों   में   आगे  पाएँगे
                           (33)
यह ही थे जो नहीं झुके अनुचित माँगों के आगे
देश - विरोधी हार - हार कर इन के कारण भागे
                           ( 34)
जब था पाकिस्तान बना बँटवारे का क्षण आया
वातावरण   ठेठ  कट्टरवादी  था  गया  बनाया
                          (35)
उठती थी आवाज ,रियासत चलो पाक में लाओ
नहीं  तिरंगा  इस  इस्लामी  गढ़ में तुम फहराओ
                          (36)
किंतु दूरदर्शी नवाब थे ,तनिक न झुकना सीखा
देशभक्त उनका मानस ,उस अवसर पर था दीखा
                         (37)
आग लगी थी शहर जला ,सेना के हुआ हवाले
स्वप्न  धूसरित  हुए ,देशद्रोही  जो  मन में पाले
                         (38)
यह  सरदार पटेल बीच में रजा अली खाँ लाए
कहा पाक में मिलना अपने मन को तनिक न भाए
                         (39)
काबू   पाया   देशभक्त   ने   कट्टरपंथ   हराया
इतिहासों में कदम रजा का यह अनमोल कहाया
                         (40)
मानवतावादी - चिंतन  ने  निर्णय  और कराया
शरणार्थी  जो  हुए ,रामपुर  लाकर उन्हें बसाया
                        (41)
बिना धर्मनिरपेक्ष विचारों के कदापि कब होता
देखा  नहीं धर्म उसका ,जो था विपदा में रोता
                       (42)
बँटवारे  के  जो  शिकार हो गए ,पाक से भागे
पलक - पाँवडे लिए बिछाए ,आए उनके आगे
                         (43)
भवन  रियासत  के  थे ,उनमें ससम्मान ठहराए
शरणार्थी  इस  तरह हजारों संख्या में बस पाए
                         (44)
संरक्षण जब मिला पीड़ितों को तब सब ने जाना
सर्वधर्म  समभावी  चेहरा  सबने  ही  पहचाना
                       (45)
भरा  हुआ  इंसानी  भावों  से  नवाब था पाया
उसके भीतर छिपा महामानव ही बाहर आया
                      (46)
अगर न होते रजा अली ,क्या शरणार्थी बस पाते
कहाँ  इन्हें  घर मिलते ,कैसे बस्ती कहाँ बसाते
                     (47)
जिसका हृदय बड़ा होता है ,बस्ती वही बसाता
अपने  और  पराए से हट ,सबको गले लगाता
                     (48)
यहाँ  बसे  शरणार्थी  थे ,यह गाथा युग गाएगा
साधुवाद  इस  हेतु  रजा  के  खाते  में जाएगा
                     (49)
एक तरफ थे रजा अली मिलकर पटेल से आए
और   दूसरी   तरफ  हैदराबाद  रंग  दिखलाए
                    (50)
यह निजाम का शासन था ,कहलाता हिंद - विरोधी
यह लड़ने पर आमादा था ,भारत पर यह क्रोधी
                    (51)
देशभक्त यह रजा अली सुर में सुर नहीं मिलाए
संग  रामपुर  और  हैदराबाद  न  हर्गिज  आए
                     (52)
शाही  था  फरमान  हैदराबाद  न सँग में नाता
देशभक्ति की भाषा - बोली यह फरमान सुनाता
                       (53)
जुड़ा  रामपुर  राष्ट्रपिता  से  ,राष्ट्रवादिता  छाई
देशभक्ति  संपूर्ण  रियासत  में  दुगनी हो आई
                       (54)
गाँधी - समाधि का मतलब है भारत माँ का जयकारा
गाँधी - समाधि कह रही देश है हिंदुस्तान हमारा
                        (55)
गाँधी - समाधि का अर्थ ,रामपुर सदा हिंद में रहना
गाँधी समाधि का अर्थ ,हिंद को दिल से अपना कहना
                         (56)
गाँधी समाधि का अर्थ ,रियासत जुड़ी हिंद से गहरी
गाँधी समाधि का अर्थ ,रामपुर भारत माँ का प्रहरी
                        (57)
यह था ठोस कदम जिसने भारत को दिया सहारा
कहा रियासत ने इसका मतलब है  हिंद हमारा
                          (58)
रजा  अली  की  देशभक्ति यह दूरदर्शिता पाई
भस्म  रामपुर गाँधी जी की ससम्मान थी आई
                          (59)
रजा अली खाँ मुस्लिम थे ,कुछ एतराज थे आए
भस्म चिता की कैसे सौंपें ,प्रश्न क्षणिक  गहराए
                          (60)
पर  निष्ठा  देखी  नवाब की ,देशभक्ति को जाना
इस  नवाब का कार्य देश - हित में सब ने पहचाना
                         (61)
थी  स्पेशल - ट्रेन  रामपुर से दिल्ली तक आए
राष्ट्रपिता की छवि अपने मानस में रजा बसाए
                         (62)
भस्म चिता की जब गाँधी जी की नवाब ले आए
मूल्यवान सबसे ज्यादा निधि सचमुच ही थे लाए
                           (63)
नगर रामपुर धन्य रियासत ने नव - आभा पाई
गाँधी जी  की  बेशकीमती  भस्म रामपुर आई
                           (64)
भस्म  प्रवाहित की कोसी की धारा में सहलाई
नौका   में  बैठे  नवाब  थे  जनता  भारी  आई
                            (65)
मूल्यवान था धातु - कलश ,वह जो जमीन में गाड़ा
गाँधी जी की भस्म लिए अद्भुत था बड़ा नजारा
                           (66)
लिखा गया इस तरह रामपुर का गाँधी से नाता
नाता था इस तरह जोड़ना रजा अली को आता
                            (67)
राजतंत्र ने यह स्वर्णिम अंतिम इतिहास रचा था
इसके बाद खत्म था सब कुछ ,कुछ भी नहीं बचा था
                            (68)
समय - थपेड़ों ने सदियों का शाही - राज ढहाया
झटके से अब गिरा ,दाँव कोई भी काम न आया
                            (69)
चाह  रहे  थे  यह नवाब शायद सत्ता बच जाए
एक मुखौटा लोकतंत्र का शायद कुछ जँच जाए
                            (70)
गढ़कर एक विधानसभा ,नकली जनतंत्र रचाते
किंतु  जानते  सब पटेल थे ,झाँसे में कब आते
                           (71)
राजतंत्र  मिट  गया  राजशाही को सुनो गँवाया
एक दिवस फिर एक आम-जन जैसा खुद को पाया
                           (72)
यह भारत का नया उदय था ध्वस्त राजशाही थी
यह  पटेल  की  लौह - इरादों वाली अगुवाई थी
                            (73)
राजा  और  नवाब  मिटाए देश एक कर डाला
नहीं  रियासत  रही  ,राजतंत्रों पर डाला ताला
                            (74)
अगर  नहीं  होते  पटेल  तो  जाने क्या हो जाता
खत्म पाँच सौ से ज्यादा ,यह कहो कौन कर पाता
                            (75)
साम दाम से राजाओं को यथा - योग्य समझाया
नहीं समझ में जिनकी आई ,ताकत से मनवाया
                            (76)
यह  पटेल  की  थी  कठोरता ,सुलझे सारे झगड़े
समझ गए सब राजा ,ज्यादा नहीं और फिर अकड़े
                           (77)
किया  रामपुर  में भारत होने का कठिन इरादा
पूरा  हुआ  नियति  से शासक का था सुंदर वादा
                           (78)
यह पटेल की ,रजा अली की मिलकर नीति कहाई
"एक समस्या" कभी रामपुर तनिक न बनने पाई
                            (79)
अगर  धर्मनिरपेक्ष  इरादे  हों तो सब हो जाता
देशभक्त  के  लिए  न  कोई  बाधा है बन पाता
                             (80)
खोई   रजवाड़ों   की   गाथा , पूरी  हुई  कहानी
सिर्फ  सुनाएँगी  अब  इनको  बूढ़ी  दादी  नानी
                          (81)
खत्म  राज - दरबार  राज - दरबारों  की गाथाएँ
खत्म राज - सिंहासन राजाओं की मुख-मुद्राएँ
                          (82)
कहाँ  बचे  राजा - नवाब ,सब इतिहासों में खोते
उनके वैभव चकाचौंध सब धूल - धूसरित होते
                         (83)
जिन द्वारों पर कभी रोज बजती थी  शुभ शहनाई
वहाँ धूल की परतें देखो ,जीर्ण - शीर्ण गति पाई
                         (84)
नहीं रहे राजा - नवाब अब ,नहीं रियासत पाते
लोकतंत्र  में  जन ,समान अब सारे ही कहलाते
                         (85)
कुछ   टूटे ,कुछ   टूट  रहे  हैं ,कुछ  आगे  टूटेंगे
चिन्ह   राजसी   बचे   यहाँ , वे  सारे  ही  छूटेंगे
                          (86)
किस्से  और  कहानी  में राजा - रानी अब पाते
कुछ खट्टी कुछ मीठी उनकी ,गाथा सभी सुनाते
                           (87)
भूली - बिसरी  हुईं  समूची  राजतंत्र  की  बातें
आजादी  का  नया  सूर्य  ,अब  बीतीं  शाही रातें
                          (88)
नया दौर है यह जनता का ,जनप्रतिनिधि आएँगे
नया - रामपुर श्रेष्ठ नए वे जनप्रतिनिधि लाएँगे
                           (89)
कुछ  मूल्यों  की  हमें  हमेशा ही रक्षा करनी है
हमें  धर्मनिरपेक्ष  भावना  जन-जन  में भरनी है
                           (90)
अब यह मुस्लिम नहीं रियासत कब हिंदू कहलाती
भारतीय   इसमें   रहते   हैं   भारतीयता  पाती
                              (91)
नीति बनाएँ ऐसी जिसमें सबका हित आ जाए
दृष्टि  हमारी  हिंदू-मुस्लिम  भेदों  से  उठ पाए
                            (92)
सड़क बनेगी तो उस पर सारे ही जन चल पाते
विद्यालय से हिंदू - मुस्लिम सब शिक्षित बन जाते
                           (93)
रोजगार के साधन यदि हमने कुछ और बढ़ाए
जनता  का  हर  वर्ग  देखिए खुशहाली को पाए
                          (94)
अस्पताल में कब इलाज हिंदू-मुस्लिम कहलाता
इसका लाभ सभी वर्गों को सदा एक - सा जाता
                           (95)
सिद्ध फकीर सुभान शाह थे ,यहाँ भाग्य से पाए
इनके शिष्य गुल मियाँ ,बाबा लक्ष्मण दास कहाए
                           (96)
यह  परिपाटी  जहाँ  खुदा - ईश्वर का बैर न पाया
यह है दिव्य रामपुर ,जनमत ने खुद इसे बनाया
                           (97)
जब   तक   प्रेम   रहेगा ,भाईचारा  हम  पाएँगे
जब तक हम मानवतावादी खुद को कहलाएँगे
                          (98)
जब तक ज्ञात रहेगी हमको पुरखों की यह भाषा
जब तक बनी रहेगी हममें अपनेपन की आशा
                           (99)
जब तक हम गाँधी - सुभान शाह की गाथा गाएँगे
जब तक एक हमें बाबा - गुल मियाँ नजर आएँगे
                             (100)
तब  तक  नाम  रामपुर का सारे जग में फैलेगा
तब  तक  इसका नाम विश्व में आदर से हर लेगा
                           (101)
नए  प्रयोगों  से  नवयुग .का हम निर्माण करेंगे
नई   तूलिका   से   हम  इसमें  नूतन  रंग  भरेंगे

✍️रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

                      

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