मंगलवार, 15 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज की ग़ज़ल ---राख ने मेरी ही ढक रक्खा है मुझको आजकल वरना तो ख़ुद में सुलगता एक अंगारा हूँ मैं।


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