शनिवार, 5 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कविता ---


कलयुगी धनुर्धर ने
बाण छोड़ा,परन्तु
निशाना चूक गया
तभी,उसने
एक महात्मा को देखा
तो पूछा,
भगवन इसका रहस्य समझाइये,
निशाना क्यों खाली गया
कृपया बताइये ?
महात्मा ने प्रश्न किया
बच्चा,
तुम्हारा गुरु कौन है ?
लक्ष्य क्या है ?
मैं,
तभी कुछ कह सकूँगा -
तुम्हारे संदेह को
दूर कर सकूँगा ।
धनुर्धर ने उत्तर दिया-
आज के युग में गुरु
की आवश्यकता नहीं,
लक्ष्य क्या होता है
इसका मुझे पता नहीं।
महात्मा मुस्कराए
बोले,
ऐसे ही अभ्यास करते रहो,
मेरे बच्चे !
देश के तुम ही आधार हो ,
अंधे युग के सच्चे कर्णधार हो ।।

✍️ अशोक विश्नोई
   मुरादाबाद

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