रविवार, 25 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद शैली की रामलीला पर पत्रकार निमित जायसवाल का सारगर्भित आलेख

   विभिन्न शैलियों में श्री रामलीला का मंचन पूरे भारतवर्ष में होता है लेकिन मुरादाबाद शैली की रामलीला का अपना एक विशिष्ट स्थान है। इस शैली के मंचन को 54 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।

मुरादाबाद शैली की रामलीला में मंच के सामने नीचे बैठकर रामलीला के प्रत्येक संवाद की एंकरिंग होती है और मंच पर कलाकार उस एकरिंग के अनुसार संवाद का मंचन करते है।आदर्श कला संगम के निर्देशक और केजीके इंटर कालेज के सेवानिवृत्त शिक्षक  वरिष्ठ रंगकर्मी डा. प्रदीप शर्मा के अनुसार  मुरादाबाद शैली की रामलीला के जनक स्व. रामसिंह चित्रकार, स्व. डा. ज्ञानप्रकाश सोती और स्व. बलवीर पाठक के निर्देशन में वर्ष 1964 में मुरादाबाद के कलाकारों ने रामलीला मंचन की प्रैक्टिस प्रारंभ की थी। मुरादाबाद के कलाकारों को वर्ष 1965 में दिल्ली के परेड ग्राउंड पर मुरादाबाद शैली की रामलीला प्रस्तुत करने का अवसर मिला था लेकिन 1965 में पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा पर आक्रमण कर देने के कारण मंचन का कार्यक्रम रद्द हो गया था। इसके बाद अगले वर्ष 1966 में परेड ग्राउंड पर मुरादाबाद शैली की रामलीला का प्रथम सफल मंचन हुआ । इसके बाद प्रत्येक वर्ष महानगर की विभिन्न संस्थाएं स्थानीय मंचों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में मुरादाबाद शैली में श्री रामलीला का सफल मंचन कर रहे हैं।

संगीत मदन मोहन का और गीत संदेश भारती के
आदर्श कला संगम के निर्देशक डा. प्रदीप शर्मा ने बताया कि मुरादाबाद शैली की रामलीला के शुरुआती दौर से लंबे समय तक रामलीला के मंचन में संगीत मदनमोहन व्यास का और गीत संदेश भारती के होते थे। गानों की ट्यून्स स्व. पंडित मदनमोहन गोस्वामी की हुआ करती थी। स्व. भारतीजी के गीत और स्व. पंडित मदनमोहन गोस्वामी की ट्यूंस आज भी रामलीला के मंचों पर प्रयोग होती है।

रस्तोगी धर्मशाला और शिव सुंदरी स्कूल में होता था पूर्वाभ्यास
आदर्श कला संगम के निर्देशक डा. प्रदीप शर्मा ने बताया कि मुरादाबाद शैली के कलाकार वर्ष 1964-1965 में रामलीला मंचन का पूर्वाभ्यास  अमरोहा गेट स्थित रस्तोगी धर्मशाला और गुलजारीमल धर्मशाला रोड स्थित शिव सुंदरी मांटेसरी स्कूल (वर्तमान में साहू रमेश कुमार कन्या इंटर कालेज) में हुआ करता था। उन्होंने बताया कि उस दौर में मंचन के लिए प्रैक्टिस कई माह पूर्व शुरू हो जाती थी लेकिन वर्तमान में कलाकारों के पास समय का अभाव होता है इसलिए मंचन हेतु रिहर्सल मंचन से 20-22 दिन पहले ही शुरू हो पाती है। जब रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है तो रात्रि में जो संवाद या प्रसंग होने होते है उसकी प्रैक्टिस उसी दिन दोपहर में होती है।

मुरादाबाद की 24 संस्थाएं देशभर के प्रमुख शहरों में करती हैं मंचन
श्रीरामलीला महासंघ के महामंत्री और आकृति कला केंद्र निर्देशक प्रमोद रस्तोगी के अनुसार मुरादाबाद की 24 संस्थाएं दिल्ली के अलावा अनेक राज्यों के प्रमुख शहरों में मंचन करती है। कुछ संस्थाओं का मंचन लम्बे समय से एक ही स्थान पर हो रहा है। दिल्ली रामलीला मैदान और परेड ग्राउंड पर रामलीला मंचन के दौरान देश के प्रधानमंत्री बतौर मुख्य अतिथि पहंुचकर राम और लक्ष्मण का अभिनय कर रहे कलाकारों का तिलक करते है। प्रधानमंत्री के हाथों तिलक कराने का सौभाग्य कई बार स्थानीय कलाकारों को मिला है।
मुरादाबाद महानगर में पांच स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है। मुरादाबाद में रामलीला मैदान लाइनपार, रामलीला मैदान लाजपत नगर, रामलीला मैदान दसवां घाट बंगला गांव, कांशीराम नगर रामलीला का मंचन होता हैं।

रामलीला मंचन करने वाली मुरादाबाद की संस्थाएं व उनके निर्देशक

आदर्श कला संगम - डा. प्रदीप शर्मा व राजदीप शर्मा
श्री राम मानस मंच - राजेश रस्तोगी
शिव कला लोककल्याण समिति - नरेंद्र कुमार व आलोक राठौर
कार्तिकेय - डा. पंकज दर्पण
शिव शक्ति कला मंच - संतोष बडोला
सुरभि कला मंच - संजय सोनी एडवोकेट
श्रीराम सिंह कला मंच - योगेंद्र सिंह राजू
नूतन कला संगम - प्रदीप शंकर शर्मा व पंकज सोती
शिव कला सांस्कृतिक समिति - सतीश जोजेफ
साकेत कला मंच - श्याम मेहरा
श्रीराम युवा कला मंच - ओम प्रकाश ओम
मंगलम कला मंच -  विनोद कुमार
रघुवंश सांस्कृतिक संस्था - पंडित अमितोष शर्मा
कीर्ति कला मंच - राजेंद्र गोस्वामी
श्री हरी रंग कला मंच - सुमित चैहान
अंकुर कला दर्श - राजेश सक्सेना
श्री हरि कला मंच - पंडित विकलेश शर्मा
श्री साईं कला केंद्र-  पुनीत कुमार
सिया राम कला मंच- प्रदीप वर्मा
मर्यादा कला मंच - कृष्ण गोपाल यादव
रघुवंश सांस्कृतिक परिवार-नरेश सक्सेना
सूर्यवंश कला मंच-रमेश कनोजिया
शिवा अंशू कला मंच- संजय बंटी                                                                          








                                                                                                                                   

:प्रस्तुति:

निमित जायसवाल 


रामंगगा विहार प्रथम, ईडब्ल्यूएस, मुरादाबाद, उ.प्र.।

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