गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह वृजवासी की लघुकथा ---------बिना विचारे जो करे

 


शहर में मुनादी की गई भाइयो पानी की टंकी की सफाई होने के कारण दो दिन तक पानी नहीं आएगा।कृपया घर के खाली बर्तनों को भर कर रख लें,,,,,

      इतना सुनते ही लोगों में पानी भरने की होड़ सी लग गई।जिसे देखो वही अपने साथ खाली बर्तनों ,बाल्टियों,डिब्बों और न जाने क्या-क्या छोटे-मोटे सामान लेकर पानी की चाह लिए चला आ रहा है।

           दूर तक खाली बर्तनों की कतार लगाकर लोग अपनी-अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे।तभी मुहल्ले के एक दबंग की पत्नी ने आकर लाइन की परवाह न करते हुए अपनी बाल्टी को सबसे आगे लगाने का प्रयास किया।लोगों के ऐतराज़ करने पर लड़ने -मरने पर उतारू हो गई।देखूं मुझसे पहले पानी कौन भरेगा।एक महिला जो सबसे पीछे खड़ी हुई थी आगे आई और दबंग स्त्री से बोली बहन जी सभी को पानी चाहिए थोड़ी देर सबेर में क्या हो जाएगा,आप आई भी तो सबके बाद में ही हो।लाइन में ही आ जाओ तो अच्छा रहेगा।जो लोग पहले से खड़े हैं मूर्ख थोड़ी हैं।

       दबंग स्त्री भला यह कैसे बर्दाश्त करती कि उसे कोई सलाह दे। यह तो हो ही नहीं सकता।उसने बर्तन एक तरफ रखा और समझाने आई महिला के बाल पकड़कर उससे ऐसे भिड़ गई जैसे बरसों की दुश्मनी हो।देखते ही देखते बालों के गुच्छों का चारों तरफ बिखरते नज़र आने लगे।लोगों ने लड़ाई शांत कराने का भरसक प्रयास किया,परंतु वे दोनों तो ऐसे चिपकी हुईं थीं जैसे ऐसे ही सर जोड़कर पैदा हुई हों।

        क्रोध तो क्रोध है सदा थोड़े ही रहता है,कभी न कभी स्वतः ही शांत हो जाता है परंतु अपने पीछे एक पछतावा छोड़ जाता है।वही हुआ। जब तक इन नादान स्त्रियों का क्रोध शांत हुआ तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।

     न एक बून्द पानी बचा न एक भी बर्तन वहाँ नज़र आया।सभी अपने-अपने बर्तन भरकर  ले गए इनके हाथ लगी केवल निराशा।

    तभी तो हमारे बुजुर्गों ने कहा है। "बिना विचारे जो  करे

      सो    पीछे   पछताए"     

 ✍️वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद

 मोबाइल फोन नम्बर -   9719275453

    

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