शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा --- अच्छी खबर


"उफ्फ... यह पेपर वाले भी न कोई ढंग की खबर छाप ही नहीं सकते ।" नेता जी ने पेपर को टेबल पर फेंकते हुए गुस्से से कहा ।

"सारी अच्छी ही तो खबर हैं साहब.... आज के पेपर में कोई भी बुरी खबर नहीं है ।" आदतन करीमन बाई ने पोछा निचोड़ते हुए कहा.

"इसे बोलने को कौन कहता है... चुप... नेताजी गुस्से से आग बबूला होते हुए अपनी धर्मपत्नी से बोले. अपनी डाट सुनकर करीमन चुप हो गई और जल्दी जल्दी पोछा लगाने लगी. सोचती जा रही थी कि आज सुबह जब उसने पेपर पढ़ा घर के बाहर से उठाते हुए तब तो कोई भी बुरी खबर नहीं थी. न किसी का अपहरण न चोरी डकैती, न खून और न ही धोखा धड़ी.... और कोई बलात्कार भी नहीं... छी l"

"टी. वी. ऑन तो कीजिए नेता जी देखिए... ।" बनवारी लाल छुटभैये ने खुशी से घर में घुसते ही चिल्लाते हुए कहा l

खबर देखकर नेता जी के  चेहरे पर रौनक ही छा गई.

बनवारी गाड़ी निकालो आज ही हमें इस गांव जाकर बलात्कार पीड़ित परिवार वालों को  सहानुभूति देकर अपने प्रतिद्वंदी को सत्ता से उतार कर कुर्सी छीननी ही है l

खुश होते हुए दोनों बाहर चले गए.

करीमन को अच्छी खबर की जानकारी आज हुई.

✍️राशि सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें