शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की रचना -----बिखरी शरद चाँदनी चहुँ ओर , झूमें राधा नंदकिशोर


बिखरी शरद चाँदनी चहुँ ओर

झूमें राधा नंदकिशोर

आनंदित है सकल ब्रजमंडल

रास रचायें सब चित्तचोर ।

गोपी ग्वाले रस रंग डूबें

धुन वंशी की करे विभोर 

सुर छिड़े हैं जब प्रेम राग के

नाचे सबके ही मन मोर ।

चन्द्र किरणें खेल जल थल में 

लुभा रही हैं वे बहु जोर 

श्वेत रूप में सजी वसुंधरा

मनहु चाँद से मिली चकोर ।

✍️ डॉ रीता सिंह, मुरादाबाद

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