श्रीराम धरा पर आकर तुम,फिर से सृष्टि संचार करो,
करने दुष्टों का सर्वनाश, हे राम पुनः अवतार धरो।।
संकट में आयी मानवता,चहुँ ओर अँधेरा छाया है,
बोझिल धरती का अँधकार ,हरने प्रभु फिर उपकार करो
सारंग धनुष की टंकारें,गूँजे फिर दशो दिशाओं में,
भयमुक्त करो मेरे भारत को,वीरो में तेज संचार करो।
हे मर्यादाओं के द्योतक! हे पुरुषोत्तम, हे अविनाशी,
नारी में लज्जा और नर में मर्यादा का विस्तार करो।।
श्रीराम दया के सागर हो,हे !करुणामय करुणा कर दो,
अब आर्यवर्त की धरती से बस दुष्टों का संहार करो।
लहराये तिरंगा अजर अमर ,भारत का मस्तक उठा रहे,
भाई भाई में प्रेम रहे ,ये विनती मेरी स्वीकार करो ।
हे शिव पिनाक भंजनहारी,हे कौशलनंदन,अखिलेश्वर
कलिकाल कलुष हर के रघुवर ,अविलम्ब धरा का भार हरो।।
✍️मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार, मुरादाबाद 244001 उत्तर प्रदेश, भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें