आज शरद की रात ओ प्रियतम आ जाना ।
सूने मन के निधिवन में सजीले मोहन
श्याम तू रास रचा जाना।।
जाने कबसे ए मोहन नीरस सी पड़ी है वेणु,
गुमसुम सी हो गई है तेरी अब श्यामा धेनु।
वही कदंब,की डाल तू तान सुना जाना।
जाने कब से यह विरहन मिलने की बाट निहारे।
जन्मों जन्मोंं की प्यासी और मन पर प्रीत संवारे।
एक झलक बस एक बूंद नैनों से श्याम पिला जाना।
आज शरद की धवल चांदनी तेरी बाट निहारे।
नखत गगन के व्याकुल होकर लुका छिपी खेलें सारे।
श्याम निभाने रीत प्रीत की भोर से पहले आ जाना।c
मुझ जोगन ने तेरे प्यार में लोक लाज विसराई है।
तन मन तेरे प्यार में डूबा प्रीत अनोखी पाई है । ।
रेखा जोगन हुई स्याम की आज दरस दिखला जाना। आज.........
✍️रेखा रानी, गजरौला
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