मैं बड़ी दुविधा में था कि अपने घर के सामने वाले पार्क में इस नन्हे फलदार वृक्ष के नाज़ुक पौधे को किसके कर कमलों से लगवाया जाए। कभी मन मेंआता
चलो शहर के जिलाधिकारी से लगवाया जाए अगले ही क्षण मन में आता कि वह तो महारिश्वत खोर है।रिश्वत के आगे तो सही ग़लत का भी ध्यान नहीं रखता अपने पद की ऐंठ में ही रहता है।
फिर सोचा कि किसे बड़े नेता को बुला कर उससे यह कार्य कराया जाए।परंतु वह तो डी,एम, महोदय से भी दो हाथ आगे है।अपनी स्वार्थ सिद्धि के आगे वह तो बड़े से बड़े कांड कराने से भी पीछे नहीं हटता।उसकी बला से कोई मरे या जिए।
तभीअनायास ही दिमाग में आया कि एक जटाधारी एवं त्रिपुंड धारी सिद्ध पीठ के महा मंडलेश्वर के पावन हाथों से वृक्षारोपण उचित रहेगा।लेकिन,,मन नहीं माना उसने सोचा कि यह तो भगवान के घर में बैठकर ही मानव को मानव से अलग समझता है।कोई अछूत यदि धोखे से भी मंदिर का द्वार छू भर दे तो उसको नाना प्रकार का दंड देकर उस ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति को भी अपमानित करने से नहीं चूकता।नही--नहीं,,,,
चलो एक शिक्षक से ही इस पौधे का रोपण करा देता हूँ ।परंतु यह भी नीच जाति के बच्चों को शिक्षा देने में अपनी तौहीन समझ कर उसपर यह उपकार नहीं करता।केवल उन्हीं क्षात्रों को अच्छी तरह पढ़ाता है जो इससे ट्यूशन पढ़ते हैं।यह भी नहीं चलेगा,,,
इस प्रकार माता,पिता,दादा,दादी के अतिरिक्त बहुत से करीबी रिश्तेदारों पर भी विचार किया परंतु वे सब भी अपनी अपनी चहेती संतानों में बंटे हुए दिखाई दिए।
अंततः मेरी शंका के समाधान की सुई एक नन्हे से बालक पर जाकर रुकी और मैंने सोचा इससे बढ़िया तो कोई हो ही नहीं सकता क्यों कि बच्चा अंतर्मन से शुद्ध और निर्विकार साक्षात ईश्वर का स्वरूप होता है।उसके मन में ऊंच-नींच,छोटा-बड़ा,अपने -पराए का घ्रणित भाव नहीं रहता।उसका जीवन तो केवल प्यार का भूखा होता है।
अतः एक छूटे बच्चे के कर कमलों से उस वृक्ष को उचित स्थान पर लगवाया गया। तभी तो सभी यही कहते हैं कि,,,,,,,
बच्चे में है भगवान
बच्चे ने है रहमान
गीता उसमें
बाइबल उसमें
उसमें है कुरान
जग में बच्चा है
महान।
✍️ वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0- 9719275453
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