तीनों भाई आपस में इसी बात का फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि माँ को कौन अपने पास रखेगा।बड़ा भाई दूर नौकरी करने की दलील देकर बच कर साफ निकल जाता है।मंझला भाई पत्नी की तबियत खराब चलने के कारण मां की सही देख भाल न हो पाने की बात कह कर अपना पीछा छुड़ा लेता है।
सबसे छोटा भाई शर्माते हुए अपनी पत्नी से पूछता है शोभा तुम बताओ क्या किया जाए।मेरी तो माँ है,मैं तो तुम्हारे ही ऊपर हूँ। तुम अगर माँ की सही देख-भाल कर सको तो मुझे खुशी होगी।
तभी शोभा तुनककर बोली देखो जी दो बड़े भाइयों ने तो अपनी अपनी गाथा गा दी और पीछा छुड़ा लिया, क्या हम पर ही कुबेर का खजाना गढ़ा है।छोटी सी नौकरी दो-दो बच्चों की पढ़ाई लिखाई,हारी-बीमारी,इन्हीं के कपड़े-लत्ते बनाना भारी पड़ता है।ऊपर से इनका मुश्तकिल बोझ भी हमीं उठाएं यह तो खूब रही।तुम्हारी तो मति मारी गई है भाइयों के आगे तो भीगी बिल्ली हो जाते हो।जुबान को लकवा सा मार जाता है।मैं कुछ कहना भी चाहूँ तो,,,,,,,
अब साफ साफ सुन लो जी, या तो ये ही रहेंगी या फिर तुम ही रहना अपने बच्चों के साथ।मेरी बात मानों तो माँ को
वृद्धाआश्रम में भेज दो सारा झंझट ही खत्म।में तो खुद ही बीमार सी रहती हूँ।
जैसा तुम कहो,,,,,,,,
तभी अचानक भाइयों की इकलौती बहन बीना आ गई ।सारी बातों को सुन कर हैरान रह गई ।तुरत ही मां से बोली माँ,जल्दी चलो अब यह घर तुम्हारे रहने लायक नहीं रह गया है।अब तुम हमारे साथ रहोगी।हमें भी तुम्हारे आशीर्वाद की ज़रूरत है।
बिटिया माँ को अपने साथ ले जाती है।घर को मुड़-मुड़कर निहारती रहती है "बेचारी माँ"
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी , मुरादाबाद, उ,प्र,
मो0- 9719275453
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