(चेहरे पर परेशानी का भाव लिए किशोर आता है और माथा पकड़ कर जमीन पर बैठ जाता है)
सूत्रधार : अरे सब इधर तो आओ, जरा देखो तो यहां क्या हो रहा है ? यह किशोर कैसा अनमना सा माथा पकड़ कर बैठ गया है? यह चुप क्यों है ? .....कुछ बोलता क्यों नहीं ?
अरे काका- काकी सब दौड़े आओ,
मिलकर सारे किशोर को समझाओ।
रामू - अरे, किशोर भाई कुछ तो बोलो काहे हैरान परेशान हो? क्या तुमको कोरोना का डर सता रहा है? काहे चिंता करते हो? यह कोरोना बड़े लोगों को ही होता है ,हम जैसे मजदूरों को कुछ नहीं होता।
किशोर - अरे बबुआ, चिंता की तो बात है , सुना है मालिक कारखाना बंद करने वाले हैं , जब कारखाना बंद हो जाएगा तो खाओगे क्या? बीवी बच्चे क्या खाएंगे? कौन जिंदा रहेगा ?.....और देखो मेरी मुन्नी को तो कितना तेज बुखार है?
किशोर की पत्नी सुखिया - अरे, आप तो मुन्नी की दवाई लेने गए थे, परंतु यह कैसी खबर ले आये
। अब, मुन्नी का बुखार कैसे उतरेगा?
किशोर - घबरा मत सुखिया, तू धीरज रख मैं सब संभाल लूंगा।
(तभी इमरजेंसी बेल बजती है
सायरन के साथ)
सब शांत होकर सुनने लगते हैं।
सुनो ! ....सुनो !!.....सुनो !!!...
खोली के सभी लोगों ध्यान से सुनो
कोविड-19 के मरीजों की संख्या बहुत बढ़ चुकी है।
तुम सभी लोगों को अभी फौरन खोली खाली करनी होगी। यह कारखाना बंद हो गया है।
( यह सुनते ही खोली में अफरा-तफरी मच जाती है।)
सूत्रधार- देखिए बस्ती में कैसा अफरा-तफरी का माहौल है। अभी सारे लोग कैसे अपने गांव को वापस होंगे। उनके पास न तो कोई सवारी का साधन है ना कुछ खाने की सामग्री और ना ही सामग्री खरीदने के लिए पैसे) किशोर - (दुःखी होकर)
मना किया था कि गांव नहीं छोड़ते।
महानगरों से नाता नहीं जोड़ते।
पर तुमने मेरी एक न मानी।
दिखलाई अपनी मनमानी।
किसी की खाट बुनता था।
किसी की छान चढ़ाता था।
अपनी कहता था ,
औरों की सुनता था।
गांव की दावतों में
गर्व से पत्तल सजाता था।
दुखी मन से सुखिया गठरी में सामान समेटकर बुखार में तपती मुन्नी को लेकर चल दिया सपनों को मसल कर गांव की ओर। वि
सूत्रधार- गांवों में रहो,
शिक्षित बनो ।
सभी अपने गांव को
विकसित करो।
(धीरे धीरे पर्दा गिरता है)
✍️ रेखा रानी
प्रधानाध्यापिका , एकीकृत विद्यालय- गजरौला
जनपद- अमरोहा।
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