गुरुवार, 5 नवंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा -- ----- प्रयास


कल्पना एम ए की कक्षा मेंं  थी।अपनी सखियों के साथ बैठी हँसी ठिठोली कर रही थी।फ्री पीरियड था तो मस्ती करनी थी ताकि अगली कक्षा के लिए रिचार्ज हो जाये।इतने मे एक आंटी जैसी महिला ने आकर पूछा ,"एम ए हिन्दी की कक्षा किस कक्ष में लगती है?

   "पायल बोली ,"आपको किस से मिलना है।हम यहींं बता देंंगे,आप जाकर क्या करेगी।"वह महिला बोली,"मुझे किसी से नहीं मिलना,आज की क्लास अटेंड करनी है।मेरा कल ही एडमिशन हुआ है आज क्लास मेंं पढना है"।यह बात सुनकर सभी चौक गयीं।"आंटी आप हमारी क्लास मेंं पढेगी, आपके बच्चे?"कहकर वे सब चुप हो गयीं।लड़कियों के आश्चर्य मिश्रित भाव देखकर वह बोली,"मेरा बेटा एम एससी कर रहा हैऔर बेटी बी ए फायनल मेंं है।""फिर आप इस उम्र में क्यों पढ़ाई कर रही हैंं"।सबने एक साथ पूछा।

    "तुम सब हिन्दी एम ए की ही स्टूडेंट्स हो "वह बोली,"तो चलो क्लास मे चलकर ही बात करते है"।वह सभी के पीछे पीछे कक्ष की ओर चल दी।कक्ष मे पहुंच कर सब उसे घेर कर खड़ी हो गयींं।आंटी बताओ न।

   वह बोली,'मेरी शादी कक्षा आठ के बाद ही कर दी गयी।गांव मे कक्षा8के बाद स्कूल नहीं था।गांव से बाहर लडकी पढ़ने जाये ये तो कभी हुआ नहीं।सो 14साल की उम्र से गृहस्थी शुरू हो गयी।मगर मन जो पढ़ने की ललक थी वो नहीं गयी।ससुराल मे बहू का पढ़ना असम्भव  था।बेटा जब कक्षा दस के लिए पढ़ने शहर आया तो खाना व देखभाल के लिए हमे भेजा गया।बस यही अवसर मिला।मन की बात बेटे को बताई तो उसने प्राइवेट फार्म भर दिया।दोनोंं ने साथ परीक्षा दी।अच्छे नम्बर आये।इसी तरह इंटर होगया ।फिर सब से लड़कर बेटी को भी शहर लाई।अब हम सब पढ़ते ।आनंद आता।बीए मे मेरे अंक मेरे बेटे से ज्यादा थे।जब ये बात पति को पता चली।वो खूब नाराज हुए मगर बेटे के आगे ज्यादा न बोल सके ।आज मैंं यहां आपके साथ पढूंगी"।

   ..तभी कल्पना बोली,"आंटी अब इस उम्र मे नौकरी तो मिलने से रही फायदा क्या होगा आपकी पढाई का"?। वह बोली,"बेटा नौकरी के लिए पढ़ाई जरूरी होती हैं मगर पढ़लिखकर नौकरी की जाये जरूरी नहीं।मेरी पढ़ाई मुझे संतुष्ट करती है खुशी मिलती है। तुम सब खुशनसीब हो जो तुम्हारे माता पिता पढ़ा रहे है जिस दिन बच्चों की पढ़ाई पूरी होगी मुझे फिर गांव जाना होगा मगर अब मेंं घर के काम के बाद गांव की उन लड़कियों को पढा़उंंगी जो पढ़ना चाहती हैं।"

सभी लड़कियां खड़ी हो गयींं और तालियां बजाते हुए बोलींं,"आंटी इस कक्षा मे आपका स्वागत है" वह मुस्कुरा रही थी।

✍️ डा.श्वेता पूठिया, मुरादाबाद

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