गुरुवार, 5 नवंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेन्द्र शर्मा सागर की लघुकथा --बेकार नोट


आज एक पुरानी डायरी पढ़ते समय अचानक पाँच सौ का पुराना नोट सुमित की गोद में आ गिरा।

ये वही नोट था जो उसे उसकी प्रेमिका ने एक हज़ार रुपये लेकर उसके लाख मना करने पर भी यह कहकर वापस कर दिया था कि उसे बस पाँच सौ की ही जरूरत है।

और उसने शरारत से उस नोट पर "आई लव यू सुमित" लिखकर नीचे अपना नाम भी लिखा था।

सुमित ने अपनी प्रेम की कविताओं की डायरी में इसे बहुत सहेज कर रख दिया था जिसमें हर कविता के नीचे उसने अपनी प्रेमिका का नाम लिखा था।

नोट बन्दी से ठीक चार घण्टे पहले ही तो उनका ब्रेकअप हुआ था किसी छोटी सी बात को लेकर।

"अब ना ये नोट किसी काम का है और ना ही इसपर लिखा नोट", सुमित ने धीरे से कहा और उस नोट के टुकड़े कर दिए।

✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर", ठाकुरद्वारा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें